
Divyang girl won gold medal in Judo
कटनी. अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल राह को रोड़ा नहीं बना सकती..। जिले के दशरमन गांव की रहने वाली दिव्यांग बेटी सुदामा चक्रवर्ती ने अपने संघर्ष और जज्बे से जिले का नाम रोशन किया है। लखनऊ में आयोजित इंटरनेशनल जूडो चैंम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन कर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। 24 से 27 फरवरी तक लखनऊ में राष्ट्रीय जूडो चैंम्पियनशिप का आयोजन हुआ, जिसमें देशभर के खिलाडिय़ों ने भाग लिया। सुदामा चक्रवर्ती ने जम्मू-कश्मीर, पंजाब और मध्य प्रदेश की तीन प्रतिभावान खिलाडिय़ों से मुकाबला कर ब्रॉन्ज मेडल जीता। यह पहला मौका नहीं है जब सुदामा ने अपनी प्रतिभा साबित की हो। कई बार गोल्ड, सिल्वर व ब्रांज मेडल जीते हैं।
बता दें कि सुदामा की आठ खिलाडिय़ों से फाइट होनी थी, लेकिन तीन से फाइट करते हुए ब्रांच मेडल अपने नाम किया है। होनहार खिलाड़ी 2015 से लगातार जूडो में हाथ आजमा रही हैं। 2015 में गोवा में गोल्ड मेडल, 2017 गुडग़ांव में गोल्ड मेडल, 2016 लखनऊ में ब्रांच मेडल, 2018 दिल्ली में ब्रांच मेडल सहित अन्य मेडल अपने नाम किए हैं। लगातार बेटी बेहतर प्रदर्शन से न सिर्फ जिले का नाम रोशन कर रही है बल्कि दिव्यांगता को अभिशाप मानने वाले लोगों के लिए तमाचा मार रही हैं, कि मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो आप असंभव को भी संभव कर सकते हैं।
सुदामा को यह है मलाल
जूडो खिलाड़ी को यह मलाल है कि उसे आज तक सरकार के माध्यम से प्रोत्साहन राशि नहीं मिली है, जबकि गोल्ड मेडल पर एक लाख रुपए, सिल्वर मेडल पर 75 हजार और ब्रांच मेडल पर 50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि मिलती है। इस राशि से आज भी बेटी मोहताज है। सुदामा का सपना है कि वह और बेहतर प्रैक्टिस करते हुए जूडो में बेहतर प्रदर्शन करें और देश का नाम रोशन करें। सुदामा इंटरनेशनल पैरा ओलंपिक प्रतियोगिता में प्रदर्शन करने की आस लगाए हुए हैं।
अचानक पहुंची चैंपियनशिप में
सुदामा चक्रवर्ती ने कहा कि इन दिनों में महिला बाल विकास विभाग में पर्यवेक्षक की परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। 28 फरवरी को परीक्षा होने की जानकारी मिली थी, लेकिन अचानक उनकी एक दोस्त ने जानकारी दी कि परीक्षा 7 मार्च को होने वाली है, तो सुदामा ने आनन-फानन में लखनऊ जूडो चैंपियनशिप में भाग लेने का निर्णय ले लिया। 22 तफरवरी को सूचना मिली और 23 को सुदामा लखनऊ के लिए रवाना हुई और 27 फरवरी को प्रदर्शन करते हुए तीन खिलाडयि़ों से फाइट कर ब्रांच मेडल अपने नाम किया है।
मोहताजगी की से भरा है सुदामा का जीवन
देशभर में जूडो चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल प्राप्त कर नाम रोशन करने वाली सुदामा के जीवन में मोहताजगी का पहाड़ है। पिता छोटेलाल चक्रवर्ती 65 वर्ष के हो गए हैं, उन्हें हार्ट की समस्या है, इसलिए वे मेहनत मजदूरी नहीं कर पाते, मां सुम्मी बाई भी वृद्ध हैं। तीन भाई हैं जो अलग रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं। एक बहन ससुराल में है। सुदामा माता-पिता के साथ ही रहकर पढ़ाई के साथ जूडो की प्रैक्टिस करती हैं। सुदामा ने हाल में कोपा से आईटीआई किया है और अब जबलपुर से डाटा एंट्री का कोर्स कर रहे हैं। सुदामा ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण वह नियमित प्रैक्टिस नहीं कर पाती हैं और उन्हें पढ़ाई में भी बाधा पहुंच रही है यदि उन्हें प्रशासनिक सपोर्ट मिल जाए तो वह देश के लिए खेलना चाहती हैं।
Published on:
02 Mar 2025 08:57 pm
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