मैदान के बाहर भी गढ़े जाते हैं सितारे, अनगिनत सफलताओं के पीछे कोचों का समर्पण
बालमीक पांडेय@ कटनी. 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है। यह दिन केवल खिलाडिय़ों को ही नहीं, बल्कि उन गुमनाम गुरुओं को भी याद करने का अवसर है जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी खेल और खिलाडिय़ों को समर्पित कर दी। शहर और गांवों में ऐसी कई प्रतिभाएं हैं जो अलग-अलग खेलों में अपनी छाप छोड़ रही हैं, लेकिन उनकी सफलता के पीछे वर्षों का संघर्ष और कोचों की मेहनत छिपी है।
जिले में कुछ ऐसे कोच हैं जिन्होंने सैकड़ों खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित कर राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाया, लेकिन खुद गुमनामी में जीवन जी रहे हैं। न तो उन्हें प्रचार की चाह रही और न ही सम्मान का मोह। उनका उद्देश्य सिर्फ यही रहा कि उनके शिष्य खेल के मैदान में चमकें और जिले का नाम रोशन करें। पत्रिका ने इस खेल दिवस पर इन गुमनाम गुरुओं से रुबरु होकर उनके संघर्ष और समर्पण की कहानियों को सामने लाने का प्रयास किया है। उद्देश्य यही है कि समाज यह समझे कि खेल सिर्फ मैदान पर नहीं बनते, बल्कि मैदान के बाहर भी गढ़े जाते हैं। और इसके पीछे इन कोचों का निस्वार्थ योगदान होता है।
इन कोचों ने खेलों को जीवन मानकर न केवल अपनी जिम्मेदारी निभाई, बल्कि सीमित संसाधनों में भी खिलाडिय़ों को बेहतर प्रशिक्षण दिया। कई बार निजी खर्च पर खिलाडिय़ों को प्रतियोगिताओं तक भेजा। यही कारण है कि आज जिले की खेल प्रतिभाएं अलग-अलग स्तर पर नाम कमा रही हैं। राष्ट्रीय खेल दिवस पर हम ऐसे कोचों के सम्मान का भी दिन हैं जो बिना नाम और सम्मान की परवाह किए, अपनी छत्रछाया में खिलाडिय़ों को तराशते रहे। ये वही द्रोणाचार्य हैं जिनके त्याग और समर्पण की वजह से खेल जगत में अनगिनत सफलताएं दर्ज हो पाई हैं।
प्रताप निषाद जो कि कराटे की ट्रेनिंग कई वर्षों से दे रहे हैं बच्चों में सेल्फ डिफेंस का मंत्र फूंक रहे हैं। प्रताप 2005 में ट्रेनिंग की शुरुआत निषाद स्कूल से की थी। अबतक प्रताप 10 हजार से अधिक बच्चों को दे चुके हैं। 2016 में अकेडमी में लगातार प्रशिक्षण दे रहे हैं। यहां से प्रतिभा निखारने के बाद 4/5 अगस्त 2023 में ओपन इंटरनेशनल कराटे चैम्पियनशिप नईदिल्ली स्नेहा ने सिल्वर मेडल और आकाश कोरी ने ब्रांज मेडल अपने नाम किया था। 15/16 जून एम स्टेट चैम्पियनशिप ग्वालियर में 15 बच्चों ने भाग लिया। इसमें 27 मेडल अपने नाम किया। जिसमें 9 गोल्ड, 12 सिल्वर, 6 ब्रांज मेडल जीते। 29, 30 दिसंबर 2024 में ग्वालियर में नेशनल कराटे चैम्पियनशिप में 20 बच्चों ने भाग लिया। 28 मेडल आए थे। इसमें 6 गोल्ड, 18 सिल्वर व 4 ब्रांज मेडल अपने नाम किए। 11 जुलाई 2025 को इंदौर में आयोजित एमपी स्टेट चैम्पियनशिप में 30 बच्चों ने भाग लिया। इसमें 43 मेडल बच्चों ने अपने नाम किए। ओवरऑल चैम्पियनशिप ट्रॉफी कटनी जिले को प्राप्त हुई थी।
पेश से चिकित्सक लेकिन बच्चों के लिए क्रिकेट का कोच बनकर बेटी और बेटे में ऐसा हुनर तराश की सफलता कदम चूम रही है। हम बात कर रहे हैं रैपुरा निवासी पलाश विश्वास की। पलाश विश्वास ने पहले बेटी मुस्कान को घर में क्रिकेट की ट्रेनिंग दी। बेटी बारीकियां सीखती गई और फिर कटनी में आकर बच्चों संग फारेस्टर खेल मैदान में पसीना बहाया। हिमांशु से ट्रेनिंग ली। चयन एमपी क्रिकेट टीम में हुआ। अब एमपी अंडर- 23 में मुस्कान ऑल राउंडर प्रदर्शन करने तैयार हैं। मुस्कान ने अभी तक एमपी टीम से 40 से अधिक मैच खेल चुकी हैं। 4 साल से उम्दा प्रदर्शन कर रही हैं। बेटा देव को भी क्रिकेटर बना दिया है। वह भी अंडर-15 एमपी क्रिकेट टीम में चयनित होकर बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
ये हैं क्रिकेटर टीम के साथ युवा कोच हिमांशु लालवानी जो शहर व जिले के खिलाडिय़ों को 4 साल से क्रिकेट की ट्रेनिंग दे रहे हैं। अबतक 500 से अधिक बच्चों को क्रिकेटर बना चुके हैं। खास बात यह है कि इनके यहां से ट्रेनिंग लेने वाले खिलाड़ी नेशनल तक प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें बहन-भाई मुस्कान व देव शामिल हैं। सुमित सिंह जो कि नेशनल में बेहतर प्रदर्शन कर चुके हैं। वर्तमान में 2 साल से बोर्ड ट्रॉफी खेल रहा है। मुस्कान विश्वास एमपी क्रिकेट टीम में अंडर-20 में शामिल हैं। डीविजन के लिए कई खिलाड़ी तराशे हैं। 2016-17 रणजी ट्रॉफी सम्भावित खिलाड़ी में ये खुद शामिल रहे। इस समय जबलपुर डिवीजन के भी कोच हैं।
कुश्ती कोच चंदन चक्रवर्ती पिछले 14 वर्षों से ट्रेनिंग दे रहे हैं। खास बात यह है कि इनके पिता मुन्नाला चक्रवर्ती व दादा झुन्नीलाल चक्रवर्ती भी कुश्ती के पहलवान रहे हैं। अब विरासत चंदन संभाल रहे हैं। इन वर्षों में लगभग 1300 बच्चों को ट्रेनिंग दे चुके है। 150 से अधिक पदक हैं जिसमे सर्वाधिक संख्या गोल्ड की है। इस साल ओपन और संघ वाली कुश्ती में 4 गोल्ड मेडल जीते हैं। इनसे कोचिंग लेने वाले आशुतोष राय ने राज्य स्तरीय कुश्ती में गोल्ड, नेशनल में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कियाहै। हाल में शाहिल वंशकार, राधेमोहन वंशकार नागपुर में मई में नेशनल खेलकर आए हैं। जूडो की भी ट्रेनिंग चन्दन चक्रवर्ती दे रहे हैं। दिव्यांग बेटी सुदामा चक्रवर्ती राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा को लोहा मनवा चुकी हैं।
जिले के खिलाड़ी अलग-अलग क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन कर नाम रोशन कर रहे हैं। हाल के वर्षों में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में 11 खिलाडिय़ों ने उम्दा प्रदर्शन कर गोल्ड, सिल्वर अपने नाम किए हैं। राधिका नायक कराटे, इच्छाजीत कौर, आदि निषाद, प्रथमेश सोनी, एकाश सोनी ने कराटे में गोल्ड मेडल अपने नाम किया है। इसी प्रकार देवराज सिंह, अंकिता बडग़ैंया ने एथलेटिक्स में सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। बॉलीवॉल में सुमेधा राहंगडाले, आरोही प्रजापति, आकर्ष मिश्रा, नयन कुमार ने बेहतर प्रदर्शन किया है।
जिले के खिलाड़ी राज्य स्तर पर भी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। कुश्ती में राधे मोहन ने गोल्ड, एथलेटिक्स में कुमकुम गौतम गोल्ड, योगिता केवट, आयुषी चौहान ने गोल्ड मेडल दीपाली चौधरी से सिल्वर मेडल अपने नाम किया है। शिवराम वंशकार, किरण जीतवानी ने कुश्ती में सिल्वर, चांदनी वंशकार ने ब्रांज मेडल पाया है। हेमा रैदास ने एथलेटिक्स में सिल्वर, पूर्णिमा गुप्ता ने ब्रांज मेडल अपने नाम किया है। शिवम कोरी वॉलीबॉल में बेहतर प्रदर्शन किया है।
जिले में खिलाडिय़ों के लिए अभी भी खेल सुविधाओं की कमी हैं। बेहतर खेल मैदान नहीं हैं। फारेस्टर प्लेग्राउंड में 20 करोड़ रुपए अधिक की लागत से निर्माण हो रहा है, लेकिन बहुत धीमी गति से हो रहा है। जिला न्यायालय के आगे स्पोर्ट कॉम्पलेक्स बना है वहां कोई भी खेल गतिविधियां नहीं हो रही हैं। इंडोर हॉल माधवनगर में कुश्ती, कराटे और बैडमिंटन हो रहा है, लेकिन यहां भी सुविधाओं की कमी है।
इनमें से कई कोच ऐसे हैं जो साधारण जीवन शैली के हैं और निजी खर्च से खिलाडिय़ों के लिए सामग्री जुटाते हैं। सुबह जल्दी उठकर मैदान में खिलाड़ी तराश रहे हैं। ठंडी हो या गर्मी, बारिश हो या कोई भी समय, हर समय ट्रेनिंग देने तत्पर रहते हैं। बच्चों व खिलाडिय़ों के माता पिता को जागरूक करते हैं। खिलड़ी मुस्कान, देव, सुमित आदि की बात करें तो इनको कोच की बतौलत पहचान मिल रही है। इन्हें किसी अवार्ड की लालशा नहीं है बल्कि ये शिष्यों की सफलता से ही खुश हैं।
क्रिकेट कोच व अकेडमी चलाने वाले क्रिकेटर हिमांशु लालवानी का कहना है कि बचपन से ही क्रिकेट खेलने का जुनून था। रणजी व कई ट्राफी में भाग लिया। एमपी टीम में भी चयन हुआ। वे अब शहर व जिले से कई बच्चों को क्रिकेटर बनाना चाहते हैं। इसलिए वे लगातार टे्रेनिंग दे रहे हैं। खिलाडिय़ों को पढ़ाई के साथ खेल में फिटनेस, बॉडी लैंगवेज, प्रैक्टिस आदि की ट्रेनिंग दे रहे हैं।
महिला एमपी क्रिकेट टीम में शामिल ऑलरांडर मुस्कान विश्वास ने कहा कि कड़ी मेहनत और कोच द्वारा दी गई ट्रेनिंग की बतौलत ही वह आज इस मुकाम पर हैं। गांव के मैदान में कोच पापा पलाश विश्वास व शहर में कोच हिमांशु लालवानी ने प्रैक्टिस कराई, जिसके कारण आज मैं प्रदेश की टीम में खेल पा रही हूं। जज्बा, जुनून के साथ सही मार्गदर्शन हो तो हर व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है।