राष्ट्रीय फाइलेरिया (हाथीपांव) नियंत्रण अभियान के तहत नाइट ब्लड सर्वे प्रारंभ
कटनी. जिले में फाइलेरिया (हाथीपांव) की रोकथाम के लिए वार्षिक नाइट ब्लड सर्वे शुरू कर दिया गया है। फाइलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर के अंगों में सूजन और विकृति लाकर व्यक्ति को आजीवन प्रभावित कर सकती है। इस रोग पर नियंत्रण के लिए समय पर जांच और उपचार अत्यंत आवश्यक है। मलेरिया निरीक्षक प्रमत कुमार महार ने बताया कि चयनित ग्रामों में रात के समय रक्त के नमूने लेकर यह जांच की जा रही है कि किसी व्यक्ति के रक्त में फाइलेरिया परजीवी तो मौजूद नहीं है। परजीवी पाए जाने पर तुरंत दवा देकर बीमारी को फैलने से रोका जा सकता है। यह कार्रवाई मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राज सिंह ठाकुर के निर्देशन एवं जिला मलेरिया अधिकारी शालिनी नामदेव के मार्गदर्शन में किया जा रहा है।
पीके महार ने बताया कि ब्लॉक बहोरीबंद ग्राम तेवरी, ग्राम संसारपुर, ब्लॉक विजयराघवगढ़ के ग्राम दुर्जनपुर, ग्राम कन्हवारा, ग्राम देवरी हटाई, ग्राम डिठवारा, ब्लॉक रीठी के ग्राम बिलहरी व ग्राम निटर्रा में सर्वे हो रहा है। कुल 2400 लोगों की जांच का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके लिए 32 स्वास्थ्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। अभियान का निरीक्षण पीसीआई अधिकारी मुकेश सैंडे (छिंदवाड़ा) द्वारा किया जाएगा।
शालिनी नामदेव ने बताया कि फाइलेरिया एक परजीवी जनित बीमारी है, जिसमें शरीर के हाथ, पैर या अन्य अंग अत्यधिक सूज जाते हैं। रोग गंभीर होने पर इसे आम भाषा में हाथीपांव कहा जाता है। फाइलेरिया क्यूलेक्स प्रजाति के संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति के खून में मौजूद माइक्रोफाइलेरिया (परजीवी) मच्छर के काटने से मच्छर में पहुंच जाते हैं। यही मच्छर जब किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो परजीवी उसके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
शरीर में घुसने के बाद परजीवी कई महीनों या वर्षों में बढ़ते हैं। समय के साथ हाथ-पैर, स्तन या अंडकोष में सूजन आने लगती है। फाइलेरिया से बचाव के लिए नाइट ब्लड सर्वे में सहयोग करें, रात के समय लिए जाने वाले रक्त नमूने से बीमारी का जल्दी पता चलता है। जांच से डरें नहीं, यह बीमारी रोकने का सबसे सुरक्षित तरीका है। सोते समय मच्छरदानी अवश्य उपयोग करें। घर के आसपास पानी जमा न होने दें। मच्छरों को रोकने के लिए कॉइल, क्रीम या स्प्रे का प्रयोग करें। सरकार द्वारा फाइलेरिया नियंत्रण के लिए हर वर्ष एमडीए (मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन) अभियान चलाया जाता है। स्वास्थ्यकर्मी द्वारा दी जाने वाली दवाएं सभी को सेवन करनी चाहिए, वे पूरी तरह सुरक्षित हैं। यदि दवा खा ली जाए तो शरीर में मौजूद परजीवी मर जाते हैं और बीमारी नहीं फैलती। बार-बार बुखार आए, हाथ-पैर में हल्की सूजन, ग्रंथियों में दर्द ऐसे लक्षण दिखने पर तत्काल स्वास्थ्य केंद्र जाएं।