शहर विकास की गति इन दिनों फाइलों में उलझकर धीमी पड़ गई है। नगर निगम की 309 करोड़ रुपए की तीन बड़ी योजनाएं राज्य स्तरीय तकनीकी समिति की मंजूरी के इंतज़ार में हैं। अब तक भोपाल से इनको हरी झंडी नहीं मिल पाई है, जबकि निगम इनकी ड्राइंग-डिज़ाइन से लेकर टेंडर तक की प्रक्रिया पूरी कर चुका है।
निगम के सीवेज लाइन, पांच मार्ग और बायो-सीएनजी प्लांट के टेंडर पूरे, एसएलटीसी की मंजूरी के इंतजार में रुक गए काम, निर्माण कार्यों का ड्राइंग-डिज़ाइन और टेंडर छह महीने पहले ही तैयार, अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे
शहर विकास की गति इन दिनों फाइलों में उलझकर धीमी पड़ गई है। नगर निगम की 309 करोड़ रुपए की तीन बड़ी योजनाएं राज्य स्तरीय तकनीकी समिति की मंजूरी के इंतज़ार में हैं। अब तक भोपाल से इनको हरी झंडी नहीं मिल पाई है, जबकि निगम इनकी ड्राइंग-डिज़ाइन से लेकर टेंडर तक की प्रक्रिया पूरी कर चुका है। कुछ प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिए छह महीने से अधिक समय हो चुका है। भोपाल स्तर पर हो रही देरी से शहर का विकास अवरुद्ध हो रहा है।
नगर निगम ने 228 करोड़ की सीवेज लाइन, 60 करोड़ की पांच सड़कें और 21 करोड़ के बायो-सीएनजी प्लांट के प्रोजेक्ट तैयार किए थे। शहर विकास से जुड़े इन कार्यों की नगरीय प्रशासन विभाग से मंजूरी मिलने के बाद स्थानीय स्तर की सभी कागज़ी प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी। इनके टेंडर भी जारी कर दिए गए थे। लेकिन टेंडर की तकनीकी स्वीकृति के लिए राज्य स्तरीय तकनीकी समिति ( एसएलटीसी ) से मंजूरी ही नहीं मिल पाई। इसके कारण इन प्रोजेक्ट के निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि एसएलटीसी की बैठक ही नहीं हो पाई, जिसके चलते फाइलें लंबित पड़ी हैं। इन प्रोजेक्टों को हरी झंडी नहीं मिलने से शहर की आधारभूत सुविधाओं का विस्तार अटका हुआ है। दरअसल, इन योजनाओं से सीवेज नेटवर्क, सड़क कनेक्टिविटी और स्वच्छ ऊर्जा जैसे महत्वपूर्ण काम होने हैं। यदि ये समय पर पूर्ण होते, तो शहर का बुनियादी ढाँचा बेहतर होता और जनता को सुविधाएँ मिलना शुरू हो जातीं।
टेंडर के बाद संचालनालय में अटकी डिजाइन
नगरीय क्षेत्र के पचास वार्ड में सीवेज लाइन निर्माण के लिए 228 करोड़ रुपए के टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। बीते वित्तीय वर्ष से वर्ष से कागजी प्रक्रिया चल रहा है। चालू वर्ष में भी 11 माह बीत गए। स्थानीय स्तर पर कागजी प्रक्रिया पूरी हो गई चुकी है। कागजी प्रक्रिया फाइनल नहीं होने से निर्माण चालू नहीं हो सका है। टेंडर के बाद फाइनल डिजाइन संचालनालय भेजी गई है। भोपाल में डिजाइन भी एप्रूव्ड हो चुकी है। लेकिन अभी तक एसएलटीसी की बैठक नहीं होने से आदेश जारी नहीं हो सका है। निगम को फाइनल डिजाइन के आदेश को आने का इंतजार है।
फायदा : शहर का अपशिष्ट जल सीधे नदियों व झीलों में नहीं जाएगा। इससे जल प्रदूषण कम होगा। सीवेज के पानी को ट्रीटमेंट कर सिंचाई समेत अन्य उपयोग में लेने के साथ नदी में छोडा़ जाएगा। बारिश के पानी को भी संरक्षित किया जा सुकेा।
स्थिति : संचालनालय में फाइनल डिजाइन एप्रूव्ड हो चुकी है। राज्य स्तरीय तकनीकी समिति की बैठक में डिजाइन को फाइनल टच दिए जाने का आदेश जारी हाेगा। आदेश आने के बाद जमीन पर कार्य शुरू होगा।
नगरीय प्रशासन ने 20 जुलाई को निगम के 5 मार्गों को स्वीकृति दी है। इसकी लागत 60 करोड़ रुपए है। इसमें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग की एमआर-12 की लंबाई 1.80 किमी है। यह मल्टी से केंद्रीय विद्यालय तक बनेगा। एमआर-13 की लंबाई साढ़े चार किमी है। यह मार्ग रामनगर से भंडारिया होते हुए गणेश तलाई तक । दोनों की लागत 36.77 करोड़ है। इसके अतिरिक्त तीन अन्य मुख्य मार्ग बाम्बे बाजार, तीन पुलिया से रामेश्वर पुलिस चौकी तक। जलेब चौक से मानसिंग मिल तक। तीनों की लागत 23 करोड़ रुपए है।
फायदा : जाम से निजात मिलने के साथ बार-बार पैचवर्क नहीं कराना पड़ेगा। मार्ग के साथ चौराहे आकर्षण का केंद्र होंगे। बाम्बे बाजार में रेलवे तिरहे से अस्पताल तक एंबुलेंस आदि जाम में नहीं फंसेंगी। डिवाइडर के साथ फुटपाथ विकसित होगा।
स्थिति : नगरीय प्रशासन की एसएलटीसी ने स्वीकृति स्वीकृति दी है। पांच माह से राशि स्वीकृति नहीं होने से टेंडर की कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है।
ट्रेचिंग ग्राउंड पर बायो सीएनजी प्लांट का निर्माण को हरी झंडी मिली है। इसकी लागत 21 करोड़ रुपए है। इसमें आठ करोड़ रुपए निगम को देना होगा। शेष राशि ठेका कंपनी लगाएगी। फरवरी-मार्च-2025 में टेंडर की प्रक्रिया फाइनल हो चुकी है। 10 माह बीतने के बाद भी अभी तक कागजी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। इससे बायो सीएनजी प्लांट चालू नहीं हो पा रहा है। संचालनालय स्तर पर प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्माण कार्य होंगे।
फायदा : सीएनजी प्लांट के कई फायदे हैं। इस प्लांट में कचरे का निस्तारण होगा। कचरे से बायो सीएनजी गैस तैयार होगी। खाद का उपयोग किसान कर सकेंगे। पर्यावरण संरक्षित होगा। इसके अलावा अनेक लाभ होंगे।
स्थिति : राज्य स्तरीय तकनीकी समिति स्तर पर प्रकरण विचाराधीन है। रेट एप्रूव्ड होते ही ठेका कंपनी स्थल पर कार्य शुरु करेगी। वर्जन -टेंडर की प्रक्रिया फाइनल हो गई है। तीनों योजनाओं में निर्माण जल्द शुरू होंगे। सीवेज लाइन की फाइनल डिजाइन एप्रूव्ड हो चुकी है। आदेश आते ही निर्माण शुरू हो जाएंगे। प्रियंका सिंह राजावत, आयुक्त, नगर निगम