सुरगांव बंजारी गांव में अंकिता ( 9 माह ने ) चाबी का गुच्छा निगल ली। इससे उसकी सांसें अटक गईं। मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने जांच की और डायरेक्ट लैरिंगोस्कोप तकनीक से चाबी को बाहर निकाली।
खंडवा के सुरगांव बंजारी में मासूम बच्ची सुबह 10 बजे घर में खेल रही थी। खेलते समय अचानक चाबी का गुच्छा मुंह में निगल लिया। मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने विशेष पद्धति से निकाला बाहर
सुरगांव बंजारी गांव में अंकिता ( 9 माह ने ) चाबी का गुच्छा निगल ली। इससे उसकी सांसें अटक गईं। मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने जांच की और डायरेक्ट लैरिंगोस्कोप तकनीक से चाबी को बाहर निकाली। अंकिता पिता रितेश सुबह 10 बजे घर पर खेल रही थी। इस बीच वहां रखी चाबी के गुच्छे को मुंह में डाल लिया। इससे उसकी सांसें अटकी और स्थिति बिगडऩे पर परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने पीआईसीयू में भर्ती कर इलाज शुरू किया। एक्सरे में श्वास व आहार नली के बीच ( क्रिकोफेरिंस ) में चाबी ( फॉरेन बॉडी ) का गुच्छा फंसा देखा गया।
नाक, कान व गला के विभागाध्यक्ष डॉ सुनील बजोलिया के अनुसार एक्सरे से जगह चिह्नित किया। श्वास और आहार नली के बीच चाबी का गुच्छा फंसा था। सीनियर रेज़िडेंट डॉ. शिवम सिंह और डॉ. स्वेता शर्मा ने डायरेक्ट लैरिंगोस्कोप तकनीक से चाबी को बाहर निकाला। डॉक्टरों का कहना है कि देर होती तो जान जा सकती थी।
-बच्चों (6 माह से 2 साल तक ) को छोटे सामान से दूर रखें ।
-6 महीने से 2 साल तक के बच्चों को अकेला न छोडे़ं ।
-वस्तु निगलने की स्थिति में खुद इलाज न करें ।
-फौरन अस्पताल पहुंचें
डायरेक्ट लैरिंगोस्कोप एक विशेष तकनीक है। इसमें गले के अंदर की वस्तु को सीधे देखने और निकालने के लिए उपकरण का उपयोग किया जाता है। विशेषज्ञ इस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं। और सांस की नली को सुरक्षित रखते हुए फॉरेन बॉडी को हटाया जाता है।
-विशेषज्ञ डॉ सुनील बाजोलिया का कहना है कि इस तरह की घटनाओं में इलाज में थोड़ी भी देर होती, तो बच्ची की जान जा सकती थी। यह बेहद खतरनाक हो सकता है। खासकर जब वस्तु सांस की नली में फंस जाए। चाबी, सिक्के, बैटरी और छोटे खिलौनों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। 6 महीने से 2 साल तक के बच्चों को कभी अकेला न छोड़ें, खासकर जब वे खेल रहे हों। बच्चा कुछ निगल ले तो खुद निकालने की कोशिश न करें, तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।