प्रधानमंत्री एक्सीलेंस ऑफ कॉलेज एसएन कॉलेज में वर्ष 2018 से वनस्पति शोध प्रयोग शाला में धूल खा रहे उपकरण, जिम्मेदार लैब शुरू करने छोटी-छोटी कमियां भी दूर नहीं कर पा रहे।
प्रधानमंत्री एक्सीलेंस ऑफ कॉलेज एसएन कॉलेज में वर्ष 2018 से वनस्पति शोध प्रयोग शाला में धूल खा रहे उपकरण, जिम्मेदार लैब शुरू करने छोटी-छोटी कमियां भी दूर नहीं कर पा रहे।
शोध प्रयोग शाला विकसित की थी, चालू नहीं हो सकी
निमाड़ में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध प्रयोगशाला को मान्यता नहीं होने को एक बड़ी खामी सामने आई है। किसी भी सरकारी कॉलेज में मान्यता प्राप्त शोध लैब ही नहीं है। इसके चलते छात्रों को इंदौर-भोपाल जैसे बड़े शहरों का रूख करना पड रहा है। खास बात यह कि पीएमश्री एसएन कॉलेज में वर्ष 2018 से वनस्पति शोध प्रयोग शाला विकसित की थी लेकिन यह चालू नहीं हो सकी। ऐसे में प्रतिभाएं शोध के लिए भटक रही हैं, वहीं उच्च शिक्षा दयनीय स्थिति भी उजागर हो रही है।
एक भी कॉलेज में शोध प्रयोगशालाएं नहीं है
जिले में सरकारी व गैर सरकारी मिलाकर 14 कॉलेज हैं। एक भी कॉलेज में शोध प्रयोगशालाएं नहीं है। प्रधानमंत्री एक्सीलेंस ऑफ कॉलेज, एसएन कॉलेज में रसायन शास्त्र की लैब के ऊपर प्रथम तल पर वनस्पति शोध प्रयोगशाला विकसित की थी। वर्ष 2018 में डीएवीवी की शोध केंद्र निरीक्षक समिति ने शोध प्रयोगशाला का निरीक्षण किया था। टीम ने शोध प्रयोगशाला को सशर्त मान्यता दी थी। टीम ने निरीक्षण के दौरान कहा था कि प्रयोगशाला में फ्लेगरिज्म और एसपीएसएस सॉफ्टवेयर के साथ ही अन्य छोटी-छोटी सुविधाओं की पूर्ति कर शोध प्रयोगशाला को चालू करें। इसके बाद भी प्रयोगशाला को शुरू करने पर रुचि नहीं ली गई।
लैब में इन उपकरणों पर जम रही धूल की लेयर
बीओडी इनक्यूबेटर, लेमिनार एयर फ्लो, टिश्यू कल्चर रैक, ऑटोक्लेव, ओवन, सॉक्सलेट, बायनोकुलरसुक्ष्मदर्शी आदि उपकरण रखे हुए हैं। उपयोग नहीं होने से धूल की लेयर जम रही है। इस अनदेखी का खामियाज उन छात्रों को उठाना पड़ रहा है जो संबिंधत विषय में शोद्य कर अपना कॅरियर बनाना चाहते है।
वनस्पति शोध के लिए पदस्थ हैं ये गाइड
एसएन कॉलेज के वनस्पति शोध प्रयोगशाला में गाइड के रूप में डॉ शकुन मिश्रा, डॉ अर्चना मोरे, डॉ भारती महाजन पदस्थ हैं। पीजी में प्रयोगशाला का प्रैक्टिकल किया जा रहा है। यहां के प्रोफेसर्स इंदौर, भोपाल में शोध करने वाले छात्रों के गाइड के रूप में कार्य कर रहे हैं।
कॉलेज में 12 साल से तकनीकी के पद रिक्त
एसएन कॉलेज रसायन, भौतिक और प्राणी शास्त्र में पीजी प्रयोगशाला के लिए दो-दो तकनीशियन के पद स्वीकृत हैं। लेकिन तीनों विभाग में पद रिक्त हैं। रसायन विभाग में तो 12 साल से तकनीशियन नहीं है। यही कहानी सूक्ष्म जीव, जियो तकनीकी आदि के लैब की हैं।
शोधार्थी छात्र बोले--
पीजी के बाद निमाड़ के औषधियों पर शोध करना चाहती थी। एसएन काॅलेज में लैब की मान्यता नहीं होने से एडमिशन भोपाल में लिया। हमारे गाइड एसएन कॉलेज की हैं।
रूपाली पालीवाल, शोध छात्रा
पीजी के बाद मैं स्थानीय औषधीय पौधों पर रिसर्च करना चाहता था। लेकिन लैब न होने से मुझे इंदौर जाना पड़ा। आर्थिक बोझ और समय की बर्बादी से मेरा सपना अधूरा रह गया।
नितेश शुक्ला, छात्र
अगर निमाड़ में लैब होती तो हम स्थानीय समस्याओं पर शोध कर पाते। बाहर जाकर पढ़ाई करने से न तो क्षेत्र को फायदा हुआ और न ही हमें अपनी जड़ों से जुडे विषयों पर काम करने का मौका मिला।
सुनील सिंह गुर्जर, छात्र
- छात्र किताबी पढ़ाई से आगे बढ़कर नई खोज कर सकते हैं।
- प्रैक्टिकल समझ विकसित होती है और विषय को गहराई से समझने में मदद मिलती है।
- शोध अनुभव होने से उच्च शिक्षा, पीएचडी और रिसर्च करियर के अवसर बढ़ते हैं।
- स्थानीय समस्या, औषधीय पौधों और क्षेत्रीय मुद्दों पर शोध होने की राह खुलती है
- नवाचार और नई खोजो को बढ़ावा मिलता है।
- कॉलेज और विश्वविद्यालय की रैंकिंग में सुधार होता है।
- शिक्षकों को शोध अवसर मिलने से अकादमिक विकास होता है।
वर्जन-
पीजी में प्रयोगशालाएं संचालित हो रहीं हैं। शोध प्रयोगशाला संचालित करने हमारे पास कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर हैं। डिमांड के आधार पर प्रयोगशाला चालू करने की योजना तैयार की जाएगी।
डॉ एसपी सिंह, प्राचार्य, एसएन कॉलेज