नगर निगम का आत्मनिर्भर अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र यानी मिनी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट खंडहर हो गया है। इसकी मशीनरी भी कबाड़ हो रही है। 40 लाख की यह योजना जिम्मेदारों के लापरवाही की भेंट चढ़ गई है।
नगर निगम का आत्मनिर्भर अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र यानी मिनी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट खंडहर हो गया है। इसकी मशीनरी भी कबाड़ हो रही है। 40 लाख की यह योजना जिम्मेदारों के लापरवाही की भेंट चढ़ गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जल संरक्षण और गर्मी के समय शहर के बगीचों को हरा-भरा करना था।
प्रारंभ में सिर्फ दो माह तक नाले के पानी को फिल्टर कर सिंचाई में उपयोग किया गया। लेकिन, निगम इसका संचालन तीसरे माह नहीं कर सका। लाखों की मशीनरी मशीनरी जंग खा रही है। नाले के पानी का उपयोग निगम नहीं कर पा रहा है। निगम अफसरों की अनदेखी के चलते प्लांट तीन साल से बंद है। जिम्मेदार इसके संचालन को लेकर एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं।
बधियाकरण केंद्र परिसर में नाले की बाउंड्री पर निगम ने सीवेज प्लांट का निर्माण किया है। इसमें पानी को साफ करने तीन टंकी, छह मोटरें लगी हैं। पानी को शुद्ध करने दो कैप्सूल लगे हुए हैं। बिजली कनेक्शन का उपयोग बधियाकरण केंद्र की मोटर चल रही है। मशीनरी कबाड़ हो रही है। प्लांट की टंकियों में काई की लेयर जमी है। कचरा फेंक भर रहा है। बधियाकरण केंद्र पर मौजूद कर्मचारियों ने बताया उन्हें यहां दो साल से रहते हो गया तब से बंद है।
रामेश्वर पुलिया के निकट नाले में मिनी सीवेज प्लांट का निर्माण हुआ है। कुंड से पुलिया की ओर आने वाले नाले के पानी को फिल्टर कर बगीचे की सिंचाई को रही थी। दो माह तक निगम ने उपयोग किया। तीन साल से बंद है। झाडिय़ों में प्लांट छिप हुआ है। मशीनरी भी खराब हो रही है। इसकी सुरक्षा के लिए जाली लगाई गई है। स्थानीय लोगों ने प्लांट के आस-पास अतिक्रमण कर लिया है। बीते एक साल में निगम ने यहां दो बार अतिक्रमण हटाया। लौटते ही दोबारा कब्जा कर लिया जाता है।
परीक्षण कराकर चालू कराएंगे
मिनी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का संज्ञान में है। इसका परीक्षण कराएंगे। इस पर संबंधित शाखा के अधिकारी से चर्चा कर चालू कराएंगे।
प्रियंका सिंह राजावत, आयुक्त, नगर निगम कमिश्नर