1952 के पहले आम चुनाव में 33 प्रतिशत हुआ था मतदान, 2019 में बढ़कर 77 प्रतिशत तक पहुंचा
खरगोन. लोकसभा आम चुनाव के लिए नाम वापसी के बाद परिदृश्य साफ हो चुका है। अब मतदाताओं को 13 मई को होने वाले मतदान का इंतजार है। लोकसभा क्षेत्र का इतिहास देखा जाए तो वर्ष 1952 में पहली बार चुनाव हुआ था। उस समय 3 लाख 75 हजार 327 मतदाता थे। इनमें से 1 लाख 27 हजार 499 मतदाताओं ने मतदान किया था। 33 प्रतिशत के लगभग मतदान हुआ था। वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में 18 लाख 34 हजार 385 मतदाताओं में से 14 लाख 28 हजार मतदाताओं ने मतदान किया। नतीजा यह रहा कि इस चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ 77 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। समय के साथ मतदाताओं की संख्या बढ़ती गई। सात दशक में करीब 17 आम चुनाव हुए। इस अवधि में लोकसभा क्षेत्र में मतदाताअों की संख्या बढ़कर 20 लाख 46 हजार तक पहुंच गई। उल्लेखनीय है कि खरगोन संसदीय क्षेत्र में खरगोन, भगवानपुरा, कसरावद, महेश्वर, बड़वानी, राजपुर, पानसेमल व सेंधवा विधानसभा क्षेत्र आते हैं।
राजनीतिक जानकारों के अनुसार वर्ष 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बना दिया गया था। हत्या के बाद उपजी सहानुभूति और राजीव के चेहरे का आकर्षण ने मतदाताओं को घरों से निकाल दिया। देशभर के साथ इस लोकसभा के मतदाताओं ने भी कांग्रेस के प्रत्याशी सुभाष यादव के पक्ष में जमकर मतदान किया। नतीजा रह रहा कि उस समय तक सबसे ज्यादा 67 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके 30 वर्ष बाद 2014 में भाजपा के आकर्षण के केंद्र बने नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का असर इस जिले पर भी हुआ। उस समय भाजपा के सुभाष पटेल जीते। मतदान 67.67 प्रतिशत हुआ। इससे एक कदम आगे बढ़कर वर्ष 2019 में भी मोदी लहर के बीच अब तक का सर्वाधिक 76 प्रतिशत मतदान हुआ। भाजपा के गजेंद्र पटेल जीते थे।