शहर के उप डाकघर बंद होने से मुख्य डाकघर पर उपभोक्ताओं का दबाव बढ़ गया है। पिछले एक दशक में शहर की आबादी जिस लिहाज से बढ़ी है उस लिहाज से नए डाकघर खुलने की बजाए पुराने डाकघर भी बंद हो गए हैं।
खरगोन. शहर के उप डाकघर बंद होने से मुख्य डाकघर पर उपभोक्ताओं का दबाव बढ़ गया है। पिछले एक दशक में शहर की आबादी जिस लिहाज से बढ़ी है उस लिहाज से नए डाकघर खुलने की बजाए पुराने डाकघर भी बंद हो गए हैं। हाल ही में शहर के बिस्टान रोड पर पीजी कॉलेज के पास स्थित उप डाकघर बंद कर दिया गया। जबकि कई वर्ष पहले तिलक पथ पर राधाकृष्ण मंदिर के पास और किला परिसर स्थित उप डाकघर बंद हो चुके हैं। बिस्टान रोड के उप डाकघर को एनटपीसी प्लांट सेल्दा में शिफ्ट कर दिया गया है। जिला पत्र लेखक परिषद के संस्थापक राकेश राणा ने कहा कि उप डाकघर बंद होने से नागरिकों को मुख्य डाकघर आना पड़ता है। यहां लंबी लाइनें लगना पड़ता है। खासकर महिलाओं और सीनियर सिटीजन को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि डाकघरों का विकेंद्रीकरण होना चाहिए। डाकघर की सेवाएं अब भी भरोसेमंद मानी जाती है। बैंकिंग व्यवस्था भी बेहतर है। यही वजह भीड़ अधिक रहती है। उल्लेखनीय है कि शहर के बिस्टान रोड, खंडवा रोड, सनावद रोड, कसरावद रोड सहित अन्य स्थानों पर आबादी के लिहाज से उप डाकघर खोले जाना चाहिए। ताकि नागरिकों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।
मुख्य डाक घर में पोस्ट के साथ ही बैंकिंग के कार्य भी किए जा रहे हैं। यहां करीब सवा लाख खाते हैं। जिनमें लेन देने के लिए उपभोक्ता पहुंचते हैं। इनमें मुख्य रूप से शासन की लाड़ली बहना योजना, छात्रवृत्ति योजना, किसान सम्मान निधि सहित अन्य शासकीय योजनाअों के हितग्राहियों की कतार लगी रहती है।
मुख्य डाकघर में प्रतिदिन करीब 400 से 500 स्पीड पोस्ट, रजिस्ट्री सहित अन्य माध्यम से डाक भेजी जाती है। वहीं प्रतिदिन करीब तीन हजार डाक वितरण के लिए आती है। जिन्हें शहर सहित आसपास वितरित किया जाता है। डाक पोस्ट के लिए भी उप डाकघर नहीं होने से मुख्य डाकघर जाना पड़ता है।
वर्शन
मुख्य डाकघर में बैंकिंग सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध है। कई बार उपभोक्ता अधिक होने से लाइन लगानी पड़ती है। बावजूद इसके उपभोक्तओं को बेहतर सेवाएं दी जा रही है। -राजेश गुप्ता, पोस्ट मास्टर, प्रधान डाकघर, खरगोन