2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। उसके बाद हुए उपचुनावों में भी भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। साल 2025 में दिल्ली और बिहार और साल 2026 में पश्चिम बंगाल, असम, पांडिचेरी, तमिलनाडु और केरल में चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा और क्षेत्रीय दलों के लिए वर्ष 2025 राजनीतिक रूप से अहम रहने वाला है। पश्चिम बंगाल ही नहीं अन्य राज्यों में भी चुनाव की तैयारियों को लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। सभी दलों की साख दांव पर है। पश्चिम बंगाल में वामदलों और कांग्रेस के पास खुद को साबित करने का मौका होगा।
2024 के लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में भाजपा को करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। उसके बाद हुए उपचुनावों में भी भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। साल 2025 में दिल्ली और बिहार और साल 2026 में पश्चिम बंगाल, असम, पांडिचेरी, तमिलनाडु और केरल में चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा और क्षेत्रीय दलों के लिए वर्ष 2025 राजनीतिक रूप से अहम रहने वाला है। पश्चिम बंगाल ही नहीं अन्य राज्यों में भी चुनाव की तैयारियों को लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है। सभी दलों की साख दांव पर है। पश्चिम बंगाल में वामदलों और कांग्रेस के पास खुद को साबित करने का मौका होगा।लोकसभा और उपचुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद प्रदेश में भाजपा की स्थिति कमजोर हुई। 2025 में दिल्ली चुनावों का ऐलान हो चुका है और साल के अंत में बिहार में चुनाव होने हैं। दोनों चुनावों के परिणाम सीधे तौर पर अलगे साल होने वाले पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। साल 2026 में पश्चिम बंगाल, असम, पांडिचेरी, तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन चुनावों के मद्देनजर भाजपा और क्षेत्रीय दलों ने अपनी-अपनी रणनीतियां बनानी शुरू कर दी है।
पश्चिम बंगाल में 2024 के उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने सभी छह सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा को कोई सफलता नहीं मिली। इसे देखते हुए प्रदेश भाजपा ने अभी से 2026 की तैयारियां शुरू कर दी हैं। सूत्रों की मानें तो बीते लोकसभा चुनाव परिणाम से सबक लेते हुए संघ कार्यकर्ताओं ने भी मतदाताओं की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी है। भाजपा ने भी राज्य में सदस्यता अभियान पर फोकस बढ़ाया है। दिल्ली और बिहार के चुनाव परिणाम पार्टी के अनुकूल आए तो पश्चिम बंगाल में कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद होंगे, जो तृणमूल कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं होगी। इसीलिए तृणमूल कांग्रेस ने दिल्ली में जनाधार नहीं होते हुए भी आम आदमी पार्टी को अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया है।
दिल्ली के चुनाव आने वाले वर्षों में कांग्रेस की राजनीति की दशा और दिशा काफी हद तक तय कर देंगे। दिल्ली में आम आदमी पार्टी सत्ता में लौटी तो कांग्रेस के लिए देशभर में वह कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। अबतक आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस को हराकर ही राजनीतिक ताकत हासिल की है। इसीलिए आम आदमी पार्टी को दिल्ली की सत्ता से बाहर करना कांग्रेस के रिवाइवल के लिए जरूरी है। कांग्रेस ने दिल्ली और फिर बिहार में अपना प्रदर्शन सुधारा तो पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में उसके काडर को ताकत मिलना तय है। उधर, वामदलों के लिए भी अपनी खोई जमीन को हासिल करना आसान नहीं है। इसीलिए वामदलों ने भी संगठन स्तर पर खुद को विधानसभा चुनावों के लिए तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है।
वर्ष 2026 में पश्चिम बंगाल के साथ ही असम, पांडिचेरी, तमिलनाडु और केरल में विधानसभा चुनाव होने हैं। असम में भाजपा के लिए लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की चुनौती है। साथ ही तमिलनाडु और केरल में अपने जनाधार को बढ़ाने पर पार्टी का फोकस रहेगा। केरल में वाम सरकार को भी लगातार तीसरी बार वापसी के लिए कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिल सकती है। हालांकि राज्य में भाजपा भी बड़ी ताकत बन रही है, ऐसे में यहां चुनावी जंग दिलचस्प होगी। दक्षिण में तमिलनाडु दूसरा ऐसा राज्य है, जहां भाजपा के लिए सत्ता के नजदीक पहुंचने का अवसर होगा। वहीं डीएमके पर सत्ता में वापसी का दबाव होगा। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन यहां भी दोनों दलों के बीच गठबंधन की तस्वीर साफ करेगा।