Bastar organic farming: WWE स्टार और ‘महाभारत’ के ‘भीम’ फेम सौरव गुर्जर 17 घंटे लगातार गाड़ी चलाकर दिल्ली से बस्तर पहुंचे। यहां पहुंचकर वे बस्तर की अनोखी हर्बल-चाय और प्राकृतिक खेती के मॉडल से मंत्रमुग्ध हो गए।
Bastar organic farming: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम लहराने वाले पहलवान और अभिनेता सौरव गुर्जर, जो WWE (अमेरिका) में अपने रिंग नाम ‘‘सांगा’’ ( Sanga) से जाने जाते हैं और टीवी धारावाहिक महाभारत में ‘भीम’ की भूमिका से प्रसिद्ध हुए 6 अक्टूबर को अपने साथियों सहित कोंडागांव पहुंचे। उन्होंने देश के पहले सर्टिफाइड ऑर्गेनिक हर्बल फार्म , ‘‘मां दंतेश्वरी हर्बल फार्म का भ्रमण बहु किया।
सौरव गुर्जर ने बताया कि, वे पिछले कई वर्षों से अमेरिका में रह रहे थे और पाँच वर्ष पूर्व यहां आने का विचार किया था, पर परिस्थितिवश नहीं आ सके। इस बार उन्होंने दिल्ली से 17 घंटे लगातार गाड़ी चलाकर स्वयं यहां तक पहुंचने का निर्णय लिया सिर्फ इसलिए कि, वे डॉ. राजाराम त्रिपाठी के नवाचारों को अपनी आंखों से देखना चाहते थे, और उस शख्स से मिलना चाहते थे।
जिसने एक अच्छी खासी अधिकारी नौकरी को छोड़कर खेती जैसे को चुना और न केवल चुना बल्कि उसे देश दुनिया की ऊंचाई पर पहुंचा दिया। अब तक मैंने जितनी भी ’’हर्बल-टी’’ पी है , वे शायद स्वास्थ्यवर्धक तो थीं, पर स्वाद में नहीं। यह पहली हर्बल -टी’’ है जो गुणकारी भी है और स्वादिष्ट भी, जिसकी खुशबू और स्वाद दोनों अद्भुत है। जो उन्हें मां दंतेश्वरी हर्बल समूह द्वारा आदिवासी किसानों से संकलित जड़ी-बूटियों से तैयार ’’एमडी बोटैनिकल्स’’ की हर्बल चाय में मिली है।
सौरव गुर्जर को मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के द्वारा बस्तर में जैविक पद्धति से उगाई जड़ी बूटियां से तैयार की गई ’’एमडी बोटैनिकल्स’’ की अनूठी जैविक ’’हर्बल-चाय’’ और बस्तर के जंगलों से संकलित औषधीय पुष्पों से बना शहद भेंट किया। फार्म के भ्रमण के दौरान उन्होंने कैमरे पर कहा कि, मैंने दुनिया के दर्जनों जैविक और हर्बल फार्म देखे हैं, पर जिस प्राकृतिक तरीके से यहां खेती की जा रही है, वैसा मैंने आज तक कहीं नहीं देखा।
Bastar organic farming: मैं सोशल मीडिया पर यहां के वीडियो देखता था और सोचता था कि, क्या वास्तव में ऐसा हो सकता है, पर जब यहां पहुंचा तो पाया कि हकीकत उससे भी कहीं ज्यादा अद्भुत है। उन्होंने कहा कि वे भी अब मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के साथ मिलकर अपने गृहनगर ग्वालियर के पास अपने गांव में ऑस्ट्रेलियन टीक, काली मिर्च और व पौधों की खेती शुरू करेंगे और आसपास के किसानों को भी इस खेती से जोड़ेंगे। यही खेती भविष्य की खेती है, जो जलवायु परिवर्तन से लड़ सके, पर्यावरण को समृद्ध करे और किसान को आत्मनिर्भर बनाए।