CG News: रकबा कटौती के चलते किसानों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। किसानों की माने तो पिछले वर्ष की तुलना में इस बार उनके रकबे में कटौती की गई है।
CG News: किसान इन दिनों रकबा कटौती से परेशान होकर तहसील और एसडीएम कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं। गुरुवार को भी बड़ी संख्या में किसान तहसील कार्यालय पहुंचे और यहां अधिकारी-कर्मचारियों की राह तकते रहे। किसानों ने बताया कि वे नेवता, बफना, मूलमुला, मालगांव, उमरगांव, भीरागांव, चिपावंड, कोकोड़ी सहित दो दर्जन से अधिक गांवों से यहाँ किसान अपनी समस्याओं का समाधान करवाने के लिए पहुचे हैं।
ऐसा ही कुछ पिछले दो-तीन दिनों से यह सिलसिला जारी है। अपनी समस्याओं के समाधान के लिए किसान तहसील कार्यालय की भुईयां शाखा में लगातार आवेदन जमा कर रहे हैं। लेकिन, तहसीलदार के हड़ताल पर होने और कार्यालय में अन्य व्यवस्थाओं की कमी के कारण उन्हें अगले दिन आने को कहा जा रहा है।
किसानों की यह है मांग: किसानों ने मांग की है कि, पोर्टल में रकबा से जुड़ी त्रुटियों को जल्द से जल्द सुधारा जाए। अगर इस वर्ष भी समस्या बनी रही तो आने वाले वर्षों में उनकी कठिनाइयां और बढ़ेगी। तहसीलदार की अनुपस्थिति और प्रशासनिक उदासीनता से किसानों की परेशानी और अधिक बढ़ रही है। किसान आशा कर रहे हैं कि उनकी समस्याओं को जल्द से जल्द सुना जाएगा और समाधान निकाला जाएगा।
किसान तांबेश्वर कोर्राम ने बताया कि, पिछले वर्ष उन्होंने 142 क्विंटल धान समर्थन मूल्य पर बेचा था। लेकिन इस बार, पोर्टल में कटौती के कारण उनके खाते में केवल 52 क्विंटल धान ही वैध दिख रहा है। वही राजेश मानिकपुरी ने बताया कि उनकी मां के नाम पर खेती है और वह लास्ट ईयर 69 क्विंटल धान की बिक्री किए थे लेकिन इस बार उन्हें शून्य घोषित कर दिया गया है जिससे वे खासे परेशान हो चले हैं।
CG News: यही समस्या अन्य किसानों के साथ भी हो रही है, जिससे वे आर्थिक संकट में आ गए हैं। किसानों की माने तो पिछले वर्ष की तुलना में इस बार उनके रकबे में कटौती की गई है। जिससे समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों ने आरोप लगाया कि, पिछली सरकार ने उनके रकबे के अनुसार समर्थन मूल्य पर धान खरीदी की थी, लेकिन इस वर्ष पोर्टल में कई किसानों के नाम पर शून्य क्विंटल धान दिख रहा है, जबकि किसान धान अपनी खेतों में रोपे है और अब मिजाई के बाद बिक्री के लिए आएंगे।