Tiger death case: कोरिया वनमंडल के असीमांकित ऑरेंज एरिया में 4 दिन पूर्व मिला था नर बाघ का शव, वन विभाग यह भी पता नहीं लगा पाई थी कि बाघ कहां से आया
बैकुंठपुर। कोरिया वनमंडल के सोनहत वनपरिक्षेत्र अंतर्गत असीमांकित ऑरेंज एरिया में 8 नवंबर को 2-3 दिन पुराना नर बाघ का शव मिला था। इस मामले (Tiger death case) में 4 दिन बाद सीसीएफ ने गरनई बीटगार्ड रमन प्रताप सिंह और रामगढ़ सर्किल के डिप्टी रेंजर (सर्किल फॉरेस्ट ऑफिसर) पीतांबर लाल राजवाड़े को सस्पेंड कर दिया है। वहीं सोनहत रेंजर विनय कुमार पैंकरा को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। टाइगर की मौत के बाद इस कार्रवाई से वन विभाग के अधिकारियों में हडक़ंप मचा हुआ है।
बाघ की मौत मामले में गोमार्डा डॉग स्क्वायड, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और कोरिया वनमंडल की 4 टीम पांच दिन से अलग-अलग रामगढ़ क्षेत्र के जंगल में जांच कर रही है। टीम भी टाइगर के पगमार्क के आधार पर मूवमेंट का पता लगा रही है।
वन मुख्यालय रायपुर के आला अधिकारियों की भी नजर है। हालांकि, टाइगर के शव का शॉर्ट पीएम रिपोर्ट में जहरखुरानी से टाइगर की मौत की आशंका जताई गई है। लेकिन फाइनल पीएम रिपोर्ट नहीं आई है।
गौरतलब है कि कोरिया वनमंडल के जंगल में 8 नवंबर को दोपहर करीब 1 बजे ग्रामीणों के माध्यम से वन रक्षक गरनई को बाघ का मृत शव पड़े होने की जानकारी मिली थी।
यह एरिया ग्राम कटवार के पास खनखोपड़ नाला के किनारे स्थित है। यह कोरिया वनमंडल के बीट गरनई सर्किल रामगढ़ परिक्षेत्र सोनहत के असीमांकित वनक्षेत्र (ऑरेंज एरिया) में आता है, जिसका कक्ष क्रमांक पी-196 है।
कोरिया वनमंडल की डीएफओ प्रभाकर खलको बाघ की मौत (Tiger death case) के बाद रोजाना सोनहत ब्लॉक के जंगल में पहुंच रही हैं। इस दौरान प्लास्टर ऑफ पेरिस से वनपरिक्षेत्राधिकारियों को बाघ मूवमेंट के बाद सैंपल कलेक्शन जैसे पगमार्किंग, इंच टेप से नाप-जोख करना सीखा रही हैं।
ऐसी चर्चा है कि इससे पहले सोनहत एरिया के जंगल में बहुत कम दौरा करती थीं। वहीं प्रशिक्षित होने वाले वन अधिकारी व स्टाफ भी बुजुर्ग हैं, जो बहुत जल्द रिटायर होने वाले हैं।
बाघ की मौत (Tiger death case) के बाद कोरिया वनमंडल, गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के परिक्षेत्र प्रभारी भी एलर्ट हो गए हैं। घटना के बाद से परिक्षेत्राधिकारी रोजाना मुख्यालय पहुंच रहे हैं। इससे पहले मुख्यालय व फील्ड की बजाय जिला मुख्यालय बैकुंठपुर में ही नजर आते थे।