कोटा

स्कूलों में डमी प्रवेश पर CBSE सख्त तो कोचिंग सेंटर्स ने बदला समय, 12 घंटे के स्टडी शेड्यूल से स्टूडेंट्स में बढ़ा मानसिक दबाव

Coaching Centers Changed Timings: अब सीबीएसई की सख्ती के चलते छात्र सुबह 6 घंटे स्कूल और दोपहर बाद 6 घंटे कोचिंग में पढ़ रहे हैं। इसके बाद सेल्फ स्टडी का समय भी चाहिए।

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Apr 30, 2025
कोचिंग स्टूडेंट्स की प्रतीकात्मक तस्वीर

आशीष जोशी

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की ओर से डमी विद्यार्थियों पर सख्ती के बाद देशभर के कोचिंग संस्थानों ने अपना शिक्षण तंत्र बदल लिया है। कोचिंग संस्थानों ने सुबह के बैच बंद कर दोपहर 2 बजे के बाद क्लास शुरू करने का फैसला किया है। केवल ड्रॉपर और रिपीटर्स के लिए ही सुबह के बैच रखे गए हैं। इस बदलाव ने कोचिंग सिटी कोटा के पूरे 'इको सिस्टम' को बदल दिया है। वहीं निजी स्कूल अब डमी एडमिशन से इनकार कर रहे हैं। बच्चों को नियमित स्कूल भेजने के लिए पैरेंट्स की काउंसलिंग कर रहे हैं। सीबीएसई नियमों के अनुसार बोर्ड परीक्षा के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है।

नीट और जेईई की तैयारी के लिए कोटा और सीकर जैसे शहरों में देशभर से छात्र आते हैं। वे स्कूलों में डमी एडमिशन लेकर कोचिंग में नियमित पढ़ाई करते थे और सिर्फ परीक्षा के लिए स्कूल जाते थे। अब सीबीएसई की सख्ती के चलते छात्र सुबह 6 घंटे स्कूल और दोपहर बाद 6 घंटे कोचिंग में पढ़ रहे हैं। इसके बाद सेल्फ स्टडी का समय भी चाहिए। इस दोहरे दबाव से कई पैरेंट्स अब सीबीएसई के बजाय राजस्थान या अन्य स्टेट बोर्ड में बच्चों का दाखिला कराने की सोच रहे हैं।

डमी स्टूडेंट्स बोर्ड परीक्षा से होंगे वंचित

सीबीएसई ने डमी एडमिशन के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया कि अनुपस्थित छात्रों को बोर्ड परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसकी जिम्मेदारी स्टूडेंट्स और पैरेंट्स की होगी। बोर्ड ने राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआइओएस) को वैकल्पिक विकल्प सुझाया है। इसके साथ ही शैक्षणिक सत्र 2025-26 से यह नियम लागू करने की सिफारिश की गई है। पिछले साल सीबीएसई ने डमी छात्रों को प्रवेश देने वाले 21 स्कूलों की मान्यता रद्द की थी, जिनमें राजस्थान के 5 स्कूल शामिल थे।

12 घंटे के शेड्यूल से बढ़ा दबाव

सीबीएसई का कहना है कि डमी एडमिशन स्कूली शिक्षा के उद्देश्य के खिलाफ है। इससे बच्चों के विकास पर बुरा असर डालता है। वहीं पैरेंट्स और विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूल और कोचिंग के 12 घंटे के शेड्यूल से बच्चों पर मानसिक और शारीरिक दबाव बढ़ गया है। सेल्फ स्टडी का समय न मिलने से उनकी थकान बढ़ रही है।

Updated on:
30 Apr 2025 09:46 am
Published on:
30 Apr 2025 09:41 am
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