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शहर को कैटल फ्री बनाने के लिए सरकार और नगर निगम ने बीते वर्षों में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च कर दिए, लेकिन सड़कों पर उतरकर देखें तो यह दावा खोखला नजर आता है। कोटा की गलियां, कॉलोनियां और मुख्य सड़कें आज भी आवारा सांडों और गायों के कब्जे में हैं। ये मवेशी सिर्फ यातायात की समस्या नहीं बन रहे, बल्कि सीधे तौर पर लोगों की जान पर हमला कर रहे हैं। हर कुछ दिनों में किसी न किसी इलाके से सांड या गाय द्वारा लोगों को उठाकर पटकने, बच्चों को रौंदने या बुजुर्गों को गंभीर रूप से घायल करने की घटनाएं सामने आ रही हैं।
गुरुवार को छावनी क्षेत्र के रामचंद्रपुरा में राधाकृष्ण मंदिर के पास आवारा सांडों का आतंक सामने आया। यहां दो से तीन सांडों ने आपस में लड़ते हुए बुजुर्ग टीकमचंद सुमन को चपेट में ले लिया। सांडों ने उन्हें उठाकर जमीन पर पटक दिया, जिससे उनके सिर में गंभीर चोट आई और खून का थक्का जम गया। उन्हें झालावाड़ रोड स्थित एक निजी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत फिलहाल स्थिर बताई जा रही है। पूरी घटना सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।
आतंक से मुक्त नहीं हुआ शहर
पूर्व पार्षद नरेश हाड़ा ने बताया कि पूर्व सरकार ने नगर निगम द्वारा पशुओं को पकड़ने, शेल्टर होम बनाने और ठेके देने के दावे तो किए गए, लेकिन सच्चाई यह है कि शहर के अधिकांश इलाकों में आवारा मवेशी खुलेआम घूम रहे हैं और कभी भी किसी बड़े हादसे को अंजाम दे सकते हैं। नीचे दिए गए मामले तो महज कुछ उदाहरण हैं, ऐसे दर्जनों और घटनाक्रम हैं जो यह सवाल खड़ा करते हैं कि आखिर 300 करोड़ रुपए खर्च होने के बावजूद कोटा आज भी मवेशियों के आतंक से मुक्त क्यों नहीं हो पा रहा है।
शिकायतों के बाद नहीं उठाया ठोस कदम
पूर्व पार्षद अंशु श्रृंगी ने आरोप लगाया कि कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। लगातार हो रही इन घटनाओं से शहरवासियों में भारी आक्रोश है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आवारा मवेशियों की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन निगम प्रशासन सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित है सड़कों पर खुलेआम घूमते सांड और गाय यह सवाल खड़ा कर रहे हैं कि आखिर यह पैसा गया कहां।
Updated on:
18 Dec 2025 07:32 pm
Published on:
18 Dec 2025 07:29 pm
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