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Kota Honey Trap: इनामी आरोपी नरगिस ने किया सरेंडर, प्रेमजाल में फंसाकर ऐंठती थी लाखों रुपए

Rajasthan Crime: कोटा हनीट्रैप मामले की मुख्य आरोपी बबलप्रीत उर्फ नरगिस ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।

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कोटा

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Akshita Deora

Dec 18, 2025

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हनीट्रैप आरोपी बबलप्रीत उर्फ नरगिस ने किया आत्मसमर्पण (फोटो: पत्रिका)

Accused Babalpreet Alias Nargis Surrendered: हनीट्रैप मामले में करीब एक साल से फरार चल रही 10 हजार रुपए की इनामी आरोपी बबलप्रीत उर्फ नरगिस ने रेलवे कॉलोनी थाना पुलिस के समक्ष बुधवार को आत्मसमर्पण कर दिया।

बबलप्रीत के खिलाफ न्यायालय में ट्रायल इन एब्सेंटिया (अनुपस्थिति में सुनवाई) की कार्यवाही शुरू होने की सूचना मिलते ही वह डर गई और चंडीगढ़ से कोटा आकर पुलिस के सामने पेश हो गई।

एडिशनल एसपी दिलीप सैनी ने बताया कि इस मामले में पहले ही असलम शेर खान उर्फ चिंटू उर्फ कालिया, दानिश हनीफी उर्फ नाई, इरफान उर्फ तनू, समा परवीन और गोलू को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया जा चुका है, जबकि मुख्य आरोपी बबलप्रीत उर्फ नरगिस फरार चल रही थी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया है।

यह था मामला

सैनी ने बताया कि 25 अक्टूबर 2024 को सद्दामुद्दीन नामक व्यक्ति ने रेलवे कॉलोनी थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया कि इरफान रिश्ते में उसका भाई लगता है। वह अवैध और गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त है।

इरफान ने बबलप्रीत से विवाह किया था, लेकिन बाद में दोनों अलग हो गए। इसके बाद बबलप्रीत ने खुद को बेसहारा बताकर सद्दामुद्दीन से नजदीकियां बढ़ाईं और उससे विवाह कर उसके साथ रहने लगी।

कुछ समय बाद प्रार्थी को पता चला कि बबलप्रीत अपने पहले पति इरफान और उसके साथियों दानिश हनीफी और असलम चिंटू कालिया के संपर्क में है और हनीट्रैप गिरोह का हिस्सा है।

जब प्रार्थी ने इस पर आपत्ति जताई तो बबलप्रीत ने उस पर जयपुर के श्यामनगर थाने में बलात्कार का झूठा मुकदमा दर्ज करवा दिया। जांच में सामने आया कि बबलप्रीत ने अलग-अलग थानों में अलग-अलग लोगों के खिलाफ कई मामले दर्ज करवा रखे थे।

ब्लैकमेल कर ऐंठी लाखों की रकम

पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि गिरोह ने प्रार्थी को झूठे मुकदमों में फंसाने और कोर्ट-कचहरी का डर दिखाकर करीब 3 लाख 25 हजार रुपए की रकम ऐंठ ली। इसके अलावा अन्य खातों में भी पैसे डलवाए गए।

गिरोह का सरगना दानिश हनीफी उर्फ नाई बताया गया, जो जेल में रहते हुए भी पूरे नेटवर्क को संचालित कर रहा था। गिरोह का तरीका था कि महिलाओं के जरिए लोगों को प्रेमजाल में फंसाकर फिर झूठे केस दर्ज कर ब्लैकमेल किया जाए।