कोटा

‘उजड़ गई दुनिया…शिक्षक, पटवारी और कांस्टेबल की सरकारी नौकरी छोड़कर बने थे थानेदार’, रुला देगी राजस्थान के युवाओं की ये दर्दभरी दास्तां

Emotional Story: किसी ने पटवारी की नौकरी छोड़ी, किसी ने शिक्षक का पद। सपनों की वर्दी पहनने ही वाले थे कि भर्ती संकट में आने की घोषणा ने उनकी पूरी दुनिया उजाड़ दी।

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Sep 03, 2025
वर्दी को देखती उर्मिला (फोटो: नीरज गौतम पत्रिका)

SI Bharti 2021 Cancel: पुलिस की वर्दी पहनने का सपना संजोए युवाओं की आंखों में आज निराशा और असुरक्षा की परछाइयां हैं। 2021 की एसआइ भर्ती संकट में आने के बाद जहां उनकी नई नौकरी अधर में लटक गई, वहीं कई उम्मीदवारों ने अपने पुराने रोजगार को भी त्याग दिया था।

परिवारिक जिम्मेदारियों और कर्ज के बोझ ने इन युवाओं को अंदर तक तोड़ दिया है। पढ़-लिखकर कुछ बनना है, परिवार को सहारा देना है इसी सोच के साथ इन युवाओं ने वर्षों तक कठिन परिश्रम किया और उपनिरीक्षक भर्ती में सफलता पाई। किसी ने पटवारी की नौकरी छोड़ी, किसी ने शिक्षक का पद। सपनों की वर्दी पहनने ही वाले थे कि भर्ती संकट में आने की घोषणा ने उनकी पूरी दुनिया उजाड़ दी।

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सोचा नहीं था ऐसा होगा

चयनित अभ्यर्थियों ने बताया कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा दिन भी देखना पड़ेगा। उन्होंने तो सेवा भाव से पुलिस की वर्दी पहनने का सपना देखा था। लेकिन अब उन्हें लगता है कि उनकी मेहनत, संघर्ष और सपने सब बेकार हो गए।

मानसिक तनाव और आर्थिक संकट ने उन्हें असमंजस और अवसाद में डाल दिया है। वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनकी मेहनत और भविष्य पर पानी न फेरा जाए, बल्कि कोई ठोस समाधान निकाला जाए। यह केवल उम्मीदवारों की तकदीर का नहीं, बल्कि उनके पूरे परिवार की जिंदगी से जुड़ा हुआ मामला है।

जोधपुर की उर्मिला सांखला (फोटो: पत्रिका)

केस 1: जोधपुर की उर्मिला सांखला ने बताया कि माता-पिता ने मजदूरी कर उसे पढ़ाया। रिश्तेदार कहते थे कि शादी कर दो, नौकरी नहीं लगेगी, लेकिन माता-पिता को उस पर विश्वास था और उसने एसआइ परीक्षा पास कर उनका सपना पूरा किया। इसके लिए उसने आरएएस, एमए और अन्य अवसरों का त्याग किया तथा पूरे पांच वर्ष केवल इसी भर्ती की तैयारी की। अब नौकरी छिन रही है तो सवाल है कि क्या कोई पांच साल लौटा सकता है? उसके माता-पिता अब 67 वर्ष के हैं और बीमार हैं। ऐसे में वह दुविधा में है कि शादी करे, माता-पिता का इलाज कराए या फिर से परीक्षा की तैयारी शुरू करे।

सवाई माधोपुर की सुगना वर्मा (फोटो: पत्रिका)

केस 2: सवाई माधोपुर की सुगना वर्मा ने बताया कि उसने मेहनत और संघर्ष से शिक्षा प्राप्त कर कई प्रतियोगी परीक्षाएं उत्तीर्ण की। वर्ष 2021 की एसआइ भर्ती में चयन हुआ और महिला अभ्यर्थी के रूप में कठिन प्रशिक्षण पूर्ण किया। शिक्षक भर्ती में चयनित होने के बावजूद उपनिरीक्षक पद को प्राथमिकता दी, लेकिन भर्ती निरस्त कर दी गई और उसे पुन: बेरोजगार कर दिया गया। यह उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

केस 3: बूंदी जिले की नैनवां तहसील निवासी मनीषा मीना ने बताया कि उसके पिता का देहांत उस समय हो गया था जब वह 9 वर्ष की थी। आर्थिक स्थिति इतनी खराब थी कि दो बड़े भाई-बहनों की पढ़ाई छूट गई। मां ने मजदूरी और स्कूल में खाना बनाकर परिवार को संभाला और 28 हजार रुपए कर्ज लेकर उसे बीएड करवाया। कई परीक्षाओं में असफलता और रीट निरस्त होने के बाद सब-इंस्पेक्टर परीक्षा दी और चयनित हुई। साथ ही वनरक्षक पद पर भी चयन हुआ लेकिन एसआइ की नौकरी को प्राथमिकता देते हुए ज्वॉइन किया। आज वही नौकरी उससे छिन रही है। वह असमंजस में है कि आगे क्या करे।

बूंदी की मनीषा मीना (फोटो: पत्रिका)

केस 4: कोटा की सोना कुमारी ने बताया कि उसका जन्म एक गरीब मजदूर परिवार में हुआ। उसने संघर्ष करते हुए आरएसी में कांस्टेबल पद से सफर की शुरुआत की। 2016 की एसआइ भर्ती में वह फिजिकल टेस्ट में फेल हो गई। 2018 में आरएएस-प्री परीक्षा पास की लेकिन मुख्य परीक्षा में सफल नहीं हो सकी। वर्ष 2021 की एसआइ भर्ती में उसका चयन हुआ और कठिन ट्रेनिंग पूरी की। इस नौकरी के लिए उसने अपने जीवन के 9 वर्ष समर्पित किए लेकिन अब भर्ती रद्द कर दी गई है। सवाल है कि क्या सरकार उसके 9 साल लौटा सकती है?

कोटा की सोना कुमारी (फोटो: पत्रिका)

केस 5: भीलवाड़ा के लादूलाल ने बताया कि वर्ष 2021 में उसका चयन पटवारी पद पर हुआ था जिसके बाद उसने जॉइनिंग भी कर ली। करीब 14 माह तक पटवारी के रूप में सेवाएं दीं। इसी दौरान एसआइ भर्ती का परिणाम आया जिसमें चयन हो गया। एसआइ की नौकरी जॉइन करने के लिए उसने पटवारी पद से इस्तीफा दे दिया लेकिन बाद में परिस्थितियां ऐसी बनीं कि वह न तो पटवारी की नौकरी में रहा और न एसआइ की। अब वह असमंजस की स्थिति में है और भविष्य को लेकर चिंतित है।

भीलवाड़ा के लादूलाल (फोटो: पत्रिका)

सोशल मीडिया पर उड़ रहा मजाक

एसआइ भर्ती परीक्षा को लेकर सोशल मीडिया पर खूब मजाक उड़ाया जा रहा है। अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर लोग वीडियो बनाकर शेयर कर रहे हैं, जिनमें पेपर लीक और डमी उम्मीदवारों की घटनाओं को व्यंग्यात्मक अंदाज में दिखाया जा रहा है। कई यूजर्स इसे ‘भर्ती घोटाले की कॉमेडी’ बताकर वायरल कर रहे हैं। युवा अभ्यर्थी, जिनकी मेहनत और तैयारी बेकार हो गई इस मजाक से और आहत हैं। वहीं आम लोग इस मुद्दे पर सरकार और भर्ती एजेंसियों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराते हुए कड़ी आलोचना कर रहे हैं।

ये है मामला

2021 में हुई एसआइ भर्ती परीक्षा में बड़े पैमाने पर धांधली और पेपर लीक का मामला सामने आया था। एसओजी की जांच में पता चला था कि परीक्षा से पहले प्रश्न पत्र लीक हुए और कई अभ्यर्थियों ने डमी उम्मीदवारों के जरिए परीक्षा दी। इस घोटाले में ट्रेनी एसआइ सहित 100 से अधिक लोग आरोपी बने वहीं आरपीएससी से जुड़े अधिकारियों पर भी गंभीर आरोप लगे। मामले की सुनवाई के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने माना कि व्यापक स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ, जिससे युवाओं के भविष्य और भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर आंच आई।

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Updated on:
03 Sept 2025 02:49 pm
Published on:
03 Sept 2025 02:48 pm
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