Patrika Raksha Kavach Campaign: एसपी ने कोचिंग स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ नाम का कोई शब्द ही नहीं है। यदि आपको कोई डिजिटल अरेस्ट करने की बात करता है तो समझ जाए कि वह फ्रॉड है।
Patrika Raksha Kavach Abhiyan: कोटा शहर पुलिस अधीक्षक डॉ. अमृता दुहन ने कहा कि यदि हम किसी के झांसे और लालच में नहीं आए और किसी अनजान लिंक या वीडियो कॉल को रिसीव नहीं करें तो काफी हद तक साइबर फ्रॉड से बच सकते हैं। कोई भी सरकारी एजेंसी व्यक्ति से आधार नंबर, बैंक डिटेल या ओटीपी और पिन जैसी पर्सनल डिटेल नहीं मांगती। ये डिटेल हमें किसी को भी शेयर नहीं करनी चाहिए। डॉ. अमृता ने यह बात सोमवार को ‘पत्रिका रक्षा कवच’ अभियान के तहत डकनिया रोड स्थित मोशन कोचिंग संस्थान के द्रोणा-2 में आयोजित कार्यक्रम में कही।
एसपी ने कोचिंग स्टूडेंट्स को साइबर क्राइम के प्रति जागरूक करते हुए कहा कि कानून में ‘डिजिटल अरेस्ट’ नाम का कोई शब्द ही नहीं है। यदि आपको कोई डिजिटल अरेस्ट करने की बात करता है तो समझ जाए कि वह फ्रॉड है। उन्होंने कहा कि कई बार युवा शॉर्टकट में पैसे कमाने की चाह में सोशल मीडिया पर आने वाले जॉब ऑफर के जाल में फंस जाते हैं। लुभावनी बातों में आकर ठगी के शिकार हो जाते हैं। इस दौरान उन्होंने छात्र-छात्राओं के सवालों के जवाब भी दिए। स्टूडेंट्स ने साइबर फ्रॉड के प्रयास से जुड़े अनुभव साझा किए।
एसपी ने कहा कि ऐसा नहीं है कि पुलिस साइबर अपराधियों को नहीं पकड़ पा रही है। राजस्थान पुलिस ने भरतपुर के डीग में छापेमारी कर उन्हें पकड़ा है। वहां उनके घरों में एटीएम तक लगे मिले। पुलिस ने वहां 70 फीसदी तक साइबर अपराध का सफाया कर दिया है। एसपी डॉ. दुहन ने साइबर फ्रॉड से जुड़ी कोटा की कुछ केस स्टडी का जिक्र करते हुए बताया कि इन मामलों में जितना जल्दी आप पुलिस के पास पहुंचेंगे, रिकवरी की संभावनाएं उतनी ही ज्यादा होंगी। इस मौके पर राजस्थान पत्रिका के सपादकीय प्रभारी आशीष जोशी ने पत्रिका रक्षा कवच अभियान के बारे में बताते हुए पत्रिका के सामाजिक सरोकारों की जानकारी दी।
किसी अनजान का वीडियो कॉल अटेंड नहीं करें। अनजान लिंक आता है तो उसे क्लिक नहीं करें।
पर्सनल डिटेल किसी से शेयर नहीं करें।
शिकायत दर्ज करवाने के लिए प्रमाणित ऑफिशियल वेबसाइट का ही उपयोग करें।
पासवर्ड बदलते रहें।
एक छात्र ने बताया कि उसके भाई के पास एक कॉल आया था कि 5 दिन में 250 फॉर्म भरेंगे तो आपको करीब 30 हजार रुपए मिलेंगे। मुझे आधारकार्ड की कॉपी भिजवा दीजिए। फ्रॉडर बोलता है कि आप कंपनी से जुड़ गए हैं तो मुझे 25 हजार रुपए भिजवा दो। जब यह बात पिता को शेयर की तो उन्होंने कहा कि यह फ्रॉड कॉल है। ऐसे में पैसे जाने से बच गए।