डिजिटल अरेस्ट स्कैम साइबर क्राइम का एक प्रकार है, जिसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें स्कैमर खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर फोन करते हैं। आपके खिलाफ वारंट जारी होने की बात कहकर गिरफ्तारी से बचाने के बहाने लाखों रुपए लूट लेते हैं। ये स्कैमर्स लोगों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखकर उस जानकारी का उपयोग इस प्रकार की जालसाजी के लिए करते हैं।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम साइबर क्राइम का एक प्रकार है, जिसके मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसमें स्कैमर खुद को पुलिस या सरकारी अधिकारी बताकर फोन करते हैं। आपके खिलाफ वारंट जारी होने की बात कहकर गिरफ्तारी से बचाने के बहाने लाखों रुपए लूट लेते हैं। ये स्कैमर्स लोगों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखकर उस जानकारी का उपयोग इस प्रकार की जालसाजी के लिए करते हैं।
पिछले हफ्ते दिल्ली की रहने वाली एक महिला के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक अज्ञात नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने खुद को सख्त आवाज में सीबीआइ ऑफिसर बताया और महिला पर आरोप लगाया कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करी के लिए किया जा रहा है। अधिकारी ने यह भी बताया कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। वे महिला को डराते हुए जेल जाने से बचाने का झांसा देते हैं। इसके लिए नकली अधिकारी उसे अपने ऑफिशियल अकाउंट में तुरंत पांच लाख रुपये जमा करने का निर्देश देते हैं। महिला भय के कारण रकम भेज देती है।
यह फाइनेंशियल स्कैम के उन तरीकों में से एक है, जहां स्कैमर एक बड़े डाटाबेस के आधार पर रैंडम टार्गेट करते हैं। इसे नेट फिशिंग कहा जाता है। यानी अधिकतर मामलों में उन्हें खुद नहीं पता होता कि वे किसे टार्गेट कर रहे हैं। लेकिन इस तरह के अपराधों में आम तौर पर वरिष्ठ नागरिक या वे लोग आसानी से शिकार बनते हैं, जिन्हें ज्यादा ऑनलाइन जानकारी नहीं होती। इसलिए जरूरी है कि हम अपने परिवार के बड़े सदस्यों को साइबर सुरक्षा के प्रति जागरूक करें और उन्हें किसी भी अज्ञात नंबर से आए फोन कॉल्स पर भरोसा न करने के लिए समझाएं।
सरकारी विभागए पूलिस, सीबीआइ कभी भी फोन पर पैसे की मांग नहीं करते। न ही वीडियो कॉल पर कोई कर्रवाई।
किसी भी अनजान नंबर से आए फोन कॉल पर भरोसा न करें।
अगर आपको किसी वारंट या कानूनी मामले की जानकारी मिलती है, तो सीधे स्थानीय पुलिस थाने से संपर्क करें।
अपनी व्यक्तिगत जानकारी, जैसे बैंक खाते का विवरण या आधार नंबर, किसी को भी फोन पर न दें।अगर आप डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार हो गए हैं तो तुरंत पुलिस में या ऑनलाइन साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in/) शिकायत दर्ज कराएं।
यदि ऐसा कोई भी कॉल आए तो तुरंत साइबर क्राइम थाने में या पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करवाएं। यदि पैसे ट्रांसफर कर दिए हैं तो रिकवरी का एकमात्र उपाय है तुरंत शिकायत करना, जिससे बैंकिंग चैनल ट्रेक कर स्कैमर द्वारा पैसे निकलवाने से पहले उसे पकड़ा जा सके। शिकायत न करने के कारण अधिकतम कैसेज में अपराधी बच जाते हैं।
कई ऐसे केसेज आए हैं, जिनमें लोगों को आतंकवादी गतिविधि में संलिप्त होने के कॉल आते हैं और आगे की कार्रवाई से बचने के लिए तुरंत पैसे डालने को कहा जाता है। तुरंत शिकायत न होने के कारण कानूनी एजेंसी भी कुछ नहीं कर पातीं। - एन एस नप्पीनइ, सीनियर एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट