New Beauty Trends: स्किनकेयर की बढ़ती लेयरिंग और ओवरयूज के बीच स्किन फास्टिंग एक ऐसा ट्रेंड बनकर उभरा है, जो स्किन को कुछ समय के लिए प्रोडक्ट्स से ब्रेक देने की बात करता है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा यह ब्यूटी ट्रेंड दावा करता है कि कम इस्तेमाल से भी स्किन खुद को बेहतर तरीके से बैलेंस और रिपेयर कर सकती है।
New Beauty Trends: आज के समय में जब स्किनकेयर रूटीन में ढेरों प्रोडक्ट्स शामिल हो चुके हैं, तब एक नया ट्रेंड तेजी से चर्चा में है स्किन फास्टिंग। यह ट्रेंड कहता है कि कभी-कभी स्किन को भी ब्रेक की जरूरत होती है। बिना भारी रूटीन, बिना लेयरिंग और बिना एक्स्ट्रा प्रोडक्ट्स के, स्किन को खुद को बैलेंस करने का मौका देना ही स्किन फास्टिंग का कॉन्सेप्ट है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस ब्यूटी ट्रेंड को लोग स्किन डिटॉक्स की तरह देख रहे हैं, लेकिन सवाल यही है,क्या स्किन फास्टिंग सच में असरदार है या सिर्फ एक ट्रेंड?
स्किन फास्टिंग का मतलब है कुछ समय के लिए ज्यादातर या सभी स्किनकेयर प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल बंद करना, ताकि त्वचा अपना नेचुरल रिदम वापस पा सके। यह त्वचा को एक्टिव्स और लेयरिंग से होने वाली निर्भरता, जलन या कंफ्यूजन से आराम देता है।अगर आपकी स्किनकेयर रूटीन पहले से ही सिंपल है और आपकी त्वचा खुश है, तो शायद आपको स्किन फास्टिंग की जरूरत भी नहीं।
अगर आप स्किन फास्टिंग ट्राय करना चाहते हैं लेकिन पूरी तरह स्किनकेयर छोड़ने में हिचकिचाहट है, तो धीरे-धीरे शुरुआत करें। हफ्ते में एक दिन सिर्फ हल्का क्लेंजर, मॉइश्चराइजर और सनस्क्रीन ही इस्तेमाल करें। एक्टिव्स, मास्क या एक्सफोलिएशन से दूर रहें। स्किन की प्रतिक्रिया देखें। अगर वह नरम और बैलेंस्ड लगे तो धीरे-धीरे दिन बढ़ाएं, लेकिन सूखापन या जलन होने पर तुरंत रुक जाएं। हर स्किन अलग होती है, इसलिए इसे अपने हिसाब से करें।
मिनिमल स्किनकेयर में रोजाना कम लेकिन असरदार प्रोडक्ट्स का सही इस्तेमाल किया जाता है, जबकि स्किन फास्टिंग स्किन को कुछ समय के लिए प्रोडक्ट्स से ब्रेक देने का तरीका है। दोनों में से किसी एक को हमेशा अपनाना जरूरी नहीं, कई लोग स्किन फास्टिंग को “रीसेट” की तरह लेकर बाद में एक सरल और संतुलित स्किनकेयर रूटीन पर लौट आते हैं।
कभी-कभी हां, कभी-कभी नहीं। यह हर किसी पर अलग असर करता है। जिनकी त्वचा ज्यादा संवेदनशील या ओवरवर्क्ड है, उनके लिए ग्लो का मतलब कम रेडनेस, कम ब्रेकआउट और बैलेंस हो सकता है। वहीं कुछ लोगों को लंबे समय तक फास्टिंग से ड्रायनेस या डलनेस भी हो सकती है। कोई एक रिजल्ट सबके लिए नहीं होता, इसलिए जो वादे किए जाते हैं, उन्हें सच को थोड़ा बढ़ाकर बताया गया है।