Wallet in Back Pocket : अगर आप भी पीछे की जेब में वॉलेट (पर्स) रखते हैं तो सावधान हो जाएं! क्योंकि, पीछे की पॉकेट में वॉलेट को रखने से आपको कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं।
Wallet in Back Pocket Side Effects : एक नहीं, अधिकतर पुरुषों को मोटा वॉलेट पीछे की पॉकेट में रखना पसंद है। शायद, ऐसा करने वालों में आप भी शामिल हों। मगर, क्या वॉलेट को पीछे वाली पॉकेट (Wallet in Back Pocket) में रखना सही होता है? इस सवाल का जवाब वैज्ञानिकों ने खोज निकाला है। चलिए, जानते हैं कि पर्स को किस पॉकेट में रखना सही होता है।
दरअसल, 'फैट वॉलेट सिंड्रोम' के शिकार लोग मोटे साइज में वॉलेट को रखना पसंद करते हैं। ऐसे लोग अपने पर्स के अंदर बिना काम की चीजें भी ठूसे रहते हैं। कुछ लोगों के पर्स तो देखकर लगते हैं कि अब एक चीज भी रखेंगे तो फट सकती है। ऐसे वॉलेट रखने वालों को कुछ काम की बात जान लेनी चाहिए।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में पब्लिश एक स्टडी (2018) के अनुसार, पीछे वाली जेब में वॉलेट डालकर बैठने पर एक कूल्हा थोड़ा ऊपर उठ जाता है। कुर्सी पर कूल्हा बैलेंस तरीके से नहीं बैठता है। हालांकि, ये देखने और सुनने में छोटी बात लगे पर इसका हेल्थ बुरा असर पड़ सकता है।
शोध के अनुसार, इसका असर हमारी रीढ़ की हड्डी पर पड़ता है। रीढ़ की हड्डी धीरे-धीरे एक तरफ झुकने लगती है। यह झुकाव इतना मामूली लगता है, पर समय के साथ यह रीढ़ की सही संरचना को बिगाड़ सकता है। इसके कारण कूल्हे, कमर और रीढ़ पर दबाव बढ़ जाता है। यह असंतुलन सिर्फ बैठने के समय ही नहीं, बल्कि चलने-फिरने और खड़े होने की पोजीशन को भी प्रभावित करता है।
इसको लेकर फिजियोथेरेपिस्ट रवि रंजन बताते हैं कि इसी कारण से पीठ और कमर दर्द हो सकती है। इसके अलावा मांसपेशियों में खिंचाव और नसों के दबाव के कारण साइटिका जैसे गंभीर दर्द भी हो सकते हैं। इसके अलावा, जब रीढ़ की हड्डी और पेल्विस संतुलित नहीं होते, तो यह आपके पूरे शरीर की मुद्रा और चलने-फिरने की आदतों को प्रभावित कर सकता है।
न्यूरोसर्जरी एंड स्पाइन कंसल्टेंट के मुताबिक, पर्स को लंबे समय तक पीछे रखना हेल्थ के लिए नुकसानदेह है। ये शरीक के बैक साइड में कई तरह के दर्द को जन्म दे सकता है। इसलिए ऐसा करने से बचना चाहिए।