लखनऊ

ASHA Workers Protest: आशा वर्कर्स का बड़ा प्रदर्शन: मानदेय बढ़ाने और बकाया भुगतान को लेकर सड़क पर उतरीं सैकड़ों महिलाएं

ASHA Health Workers Protest : लखनऊ में आशा वर्कर्स और संगनी कार्यकर्ताओं ने अपने मानदेय बढ़ाने और लंबित भुगतान की मांग को लेकर जोरदार प्रदर्शन किया। चारबाग रेलवे स्टेशन से विधानसभा तक पैदल मार्च निकालने की कोशिश को पुलिस ने बैरिकेड लगाकर रोका। आशा वर्कर्स का कहना है कि उन्हें 24 घंटे काम कराया जाता है, लेकिन वेतन समय पर नहीं मिलता।

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Feb 11, 2025

ASHA Workers Protest UP Government: उत्तर प्रदेश की सैकड़ों आशा और संगिनी कार्यकर्ता एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर सड़क पर उतर आईं। मानदेय बढ़ाने, बकाया भुगतान और विभिन्न सरकारी योजनाओं में उनके द्वारा किए गए कार्यों की उचित प्रतिपूर्ति न मिलने के खिलाफ आशा वर्कर्स यूनियन ने विधानसभा तक पैदल मार्च करने का निर्णय लिया। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने चारबाग रेलवे स्टेशन से पैदल मार्च निकालकर विधानसभा पहुंचने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर उन्हें रोक दिया। आशा वर्कर्स का कहना था कि सरकार उनसे दिन-रात काम ले रही है, लेकिन उचित मानदेय नहीं दे रही। "हमसे 24 घंटे काम लिया जाता है, लेकिन सैलरी समय पर नहीं दी जाती। ₹2000 में घर नहीं चलता," प्रदर्शनकारी महिलाओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए यह कहा।

प्रमुख मांगें

  • आशा संगिनी को प्रोत्साहन राशि के बजाय मानदेय के रूप में वेतन दिया जाए।
  • गोल्डन आयुष्मान कार्ड, वेलनेस सेंटर में योगदान, टीवी और कुष्ठ रोग निरोधन अभियान, पोलियो अभियान में किए गए कार्यों की बकाया राशि का भुगतान किया जाए।
  • कोविड-19 के समय किए गए कार्यों का भत्ता अभी तक नहीं दिया गया, उसका जल्द भुगतान हो।
  • राज्य सरकार द्वारा जुलाई 2019 से प्रतिपूर्ति राशि का आंशिक भुगतान किया गया, लेकिन संपूर्ण भुगतान अब तक नहीं हुआ।
  • प्रत्येक आशा वर्कर को ₹1500 मासिक प्रतिपूर्ति राशि मिलनी थी, लेकिन पिछले एक साल से इसका भुगतान बंद कर दिया गया है।
  • आशा वर्कर्स के लिए सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ सुनिश्चित किया जाए।
  • सभी आशा और संगिनी कार्यकर्ताओं को स्थायी सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए।

चारबाग से निकली आशा वर्कर्स की रैली, पुलिस ने रोका

चारबाग रेलवे स्टेशन पर सुबह से ही सैकड़ों की संख्या में आशा वर्कर और संगिनी एकत्र हो गईं। धीरे-धीरे प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती गई और उन्होंने विधानसभा की ओर मार्च करना शुरू किया। प्रशासन ने पहले से ही भारी पुलिस बल तैनात कर रखा था। जैसे ही प्रदर्शनकारी विधानसभा की ओर बढ़ीं, पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग लगा दी।

पुलिस अधिकारियों ने प्रदर्शनकारियों से वार्ता करने का प्रयास किया, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़ी रहीं। लगभग एक घंटे तक नारेबाजी और विरोध प्रदर्शन चला। बाद में प्रशासन ने आश्वासन दिया कि उनकी मांगों पर सरकार विचार करेगी, जिसके बाद प्रदर्शन समाप्त कर दिया गया।

सरकार की चुप्पी और प्रदर्शनकारियों का गुस्सा

उत्तर प्रदेश में लाखों आशा वर्कर्स स्वास्थ्य सेवाओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लेकिन कम वेतन, समय पर भुगतान न होना और नौकरी की अस्थिरता उनके लिए एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। "सरकार केवल चुनावी वादे करती है, लेकिन जब हम अपने अधिकार की मांग करते हैं तो हमें अनसुना कर दिया जाता है," एक प्रदर्शनकारी ने गुस्से में कहा। हालांकि, राज्य सरकार का कहना है कि आशा वर्कर्स को उनके कार्यों के लिए उचित मानदेय दिया जा रहा है और किसी भी लंबित भुगतान को जल्द जारी किया जाएगा। लेकिन, बार-बार हो रहे इन प्रदर्शनों से साफ है कि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है।

क्या सरकार मांगें मानेगी?

उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले भी आशा वर्कर्स की मांगों पर विचार करने की बात कही थी, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस बार प्रदर्शनकारियों की मांगों पर कोई ठोस निर्णय लेती है या नहीं।

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