लखनऊ

बिहार चुनाव के नतीजे बने बसपा के लिए संजीवनी! प्रशांत किशोर के हार की क्या रही वजह?

Prashant Kishore Defeat in Bihar Election: बिहार चुनाव के नतीजों में रामगढ़ से मायावती की पार्टी बसपा के उम्मदीवार ने जीत हासिल की है। जानिए प्रशांत किशोर के हार की क्या वजह रही?

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Nov 15, 2025
बिहार चुनाव के नतीजे बने बसपा के लिए संजीवनी! प्रशांत किशोर के हार की क्या रही वजह? फोटो सोर्स-IANS

Prashant Kishore Defeat in Bihar Election: बिहार में 2010 के बाद NDA ने इतनी बड़ी जीत दर्ज की है। वहीं, बिहार में RJD और कांग्रेस की ऐसी हालत भी लंबे समय बाद हुई है। जनता ने बिहार में वोटों की ऐसी सुनामी चलाई कि महागठबंधन धरा का धरा रह गया।

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प्रशांत किशोर की जनसुराज का सूपड़ा साफ

बिहार में उभरने की जी-जान से कोशिश करने वाले 'PK' यानी प्रशांत किशोर की जनसुराज का सूपड़ा साफ हो गया। हालांकि जनसुराज ने इस चुनाव में जिसे सबसे ज्यादा दर्द RJD को दिया है, जिसके वोट बैंक में PK की पार्टी ने सेंध लगाई है।

BSP के लिए संजीवनी साबित हुए नतीजे!

सियासी गलियारों में चर्चा है कि बिहार चुनाव के नतीजे BSP के लिए संजीवनी साबित हुए हैं। बिहार की रामगढ़ सीट पर बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने BJP और RJD को धूल चटा दी। BSP उम्मीदवार सतीश कुमार सिंह यादव BJP के उम्मीदवार अशोक कुमार सिंह से 30 वोटों से जीत गए। 72689 वोट सतीश कुमार को मिले। 72659 वोट अशोक कुमार को मिले। इसके अलावा RJD के अजित कुमार तीसरे नंबर पर रहे। अजित कुमार को 41480 वोट मिले।

प्रशांत किशोर का दावा फेल

वहीं, प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज अपना खाता भी नहीं खोल पाई। प्रशांत किशोर ने कई मीडिया चैनलों पर चुनाव के पहले दावा किया था कि बिहार के CM नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) 25 से ज्यादा सीटों पर नहीं जीत पाएगी। उन्होंने कहा था कि अगर ऐसा हो गया तो वह राजनीति छोड़ देंगे। प्रशांत किशोर को बिहार चुनाव में इतना कॉन्फिडेंस विधानसभा उपचुनावों में पार्टी को 10% से ज्यादा वोट हासिल करने की वजह से आया था। PK को लगा था कि वह थोड़ी और मेहनत करेंगे तो बिहार चुनाव में भी उनकी छवि और स्पष्ट कर पाएंगे।

बिहार में क्यों प्रशांत किशोर की पार्टी का हुआ सूपड़ा साफ

इसके अलावा जनता के बीच PK की आवाज नहीं पहुंचने का एक कारण यह भी माना जा रहा है कि वह तेजस्वी को चैलेंज करके पीछे हट गए। इसी वजह से बिहार की जनता को उनकी राजनीति व्यवसाय जैसी लगने लगी। अपनी सभाओं में प्रशांत किशोर कहते रहे कि वह जाति और धर्म की राजनीति नहीं करेंगे लेकिन, जब पार्टी उम्मीदवारों को उतारने की बारी आई तो उन्होंने भी अन्य पार्टियों की तरह जाति और धर्म के आधार पर ही उम्मीदवारों का चयन कर मैदान में उतारा। चर्चा इस बात को लेकर भी है कि बिहार में शराबबंदी का विरोध भी प्रशांत किशोर को ले डूबा।

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