मानसून के दौरान डेंगू के खतरे बढ़ सकते हैं। ऐसे में आमतौर पर इसके असामान्य लक्षणों की वजह से लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह लापरवाही कई गंभीर खतरे को न्यौता देती है।
मानसून के दौरान डेंगू के खतरे को देखते हुए उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग सक्रिय हो गया है। इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य अधिकारी लोगों को जागरूक कर रहे हैं। साथ ही साथ घर- घर जाकर मच्छरों के लार्वा नष्ट करने की कवायद में भी जुटे हैं।
सीएमओ देहरादून डॉ. संजय जैन ने कहा कि देहरादून में पिछले कुछ दिन से भारी बारिश हो रही है, जिसके चलते जलभराव भी हो रहा है। ऐसे में हमने मच्छरों के लार्वा को नष्ट करने के लिए आशा कार्यकत्रियों को निर्देश दिया है। अब तक आशा कार्यकत्रियों ने एक लाख 63 हजार से ज्यादा घरों का निरीक्षण किया, जिसमें अब तक 1,378 जगहों पर मच्छरों का लार्वा मिला है।
मौसम विभाग के अनुसार उत्तराखंड में जुलाई की शुरुआत में रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गई है। पहले सप्ताह में ही राज्य में सामान्य से करीब तीन गुना ज्यादा बारिश हुई। कुमाऊं में सबसे ज्यादा बारिश हुई और एक ही दिन में हुई सबसे ज्यादा बारिश का 34 साल का पुराना रिकॉर्ड टूट गया।
इस बरसाती मौसम में अब जहां लोगों को अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं मच्छरों से भी चिंता और ज्यादा बढ़ गई है। ऐसे में स्वास्थ्य अधिकारियों ने इससे बचाव के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं।
डॉक्टर बताते हैं कि डेंगू बुखार, एक मच्छर जनित यानी मॉस्किटो बॉर्न वायरल इन्फेक्शन है, जो स्वास्थ्य से जुड़े कई जोखिम पैदा करता है। हालांकि, आमतौर पर इसके असामान्य लक्षणों की वजह से लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन यह लापरवाही कई गंभीर खतरे को न्यौता देती है। डेंगू के लक्षणों को नजरअंदाज करने से यह सीवियर डेंगू में बदल सकता है। इसके अन्य रिस्क फैक्टर्स में हेमरेज, ऑर्गन फेलियर और यहां तक कि मौत जैसी जटिलताएं भी शामिल हो सकती हैं।