Electricity Rates:राज्य में बिजली की दरें 40 प्रतिशत तक बढ़ सकती हैं। इससे उपभोक्ताओं को तगड़ा झटका लग सकता है। ऊर्जा निगम के 4300 करोड़ की देनदारियों को समायोजित करने का प्रस्ताव वित्त विभाग ने खारिज कर दिया है। अब इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है।
Electricity Rates:बिजली की दरों में 40 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी हो सकती है। दरअसल, उत्तराखंड में यूपी के समय के एसेट्स और देनदारियों का समायोजन न होने से आने वाले सालों में 4300 करोड़ का भार बिजली उपभोक्ताओं पर 40 प्रतिशत बिजली दरें महंगी होने के रूप में पड़ने जा रहा है। यूपीसीएल के इस 4300 करोड़ की देनदारियों के साथ समायोजित करने के प्रस्ताव को वित्त ने खारिज कर दिया है। अब केंद्र सरकार को पत्र लिख कर पुराने एसेट्स को आरडीएसएस योजना में मंजूरी देने की मांग की गई है।राज्य गठन के समय उत्तराखंड के हिस्से 1058 करोड़ की एसेट्स और देनदारियां आई थी। इसमें 550 करोड़ का एडजस्टमेंट नहीं हो पाया था। ये 550 करोड़ एडजेस्ट न होने से अब 4300 करोड़ पहुंच गया है। वित्त विभाग इस 4300 करोड़ को यूपीसीएल के ऊपर बकाया से समायोजित करने को तैयार नहीं है। ऊर्जा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम के मुताबिक यूपीसीएल के 21 साल पुराने एसेट्स के एडजस्टमेंट को नए एसेट्स न माना जाए, इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिख दिया गया है। इसके साथ ही यूपीसीएल को इस 4300 करोड़ को छोड़ते हुए आयोग को बिजली दरों का प्रस्ताव भेजने को कहा गया है। केंद्र से मंजूरी न मिलने की स्थिति में यूपीसीएल इस 4300 करोड़ को जोड़ते हुए सप्लीमेंट्री प्रस्ताव भेजेगा।
केंद्र सरकार की आरडीएसएस योजना में साफ किया गया है कि ऊर्जा निगम के ऊपर किसी भी तरह के एसेट्स का भार न हो। ऐसा होने पर जो 3500 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ग्रांट के रूप में दे रही है, वो लोन में बदल जाएगा। लिहाजा अब ऊर्जा निगम राज्य के लाखों उपभोक्ताओं पर बढ़े हुए बिल के रूप में अतिरिक्त भार डालने की तैयारी कर रहा है।
उत्तराखंड वित्त विभाग का तर्क है कि यूपीसीएल हर साल शासन को फ्री पावर, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी का पैसा जमा नहीं कराता। हर महीने इस पैसे को आम जनता से वसूला जाता है। दूसरी ओर यूपीसीएल का तर्क रहता है कि बिना सब्सिडी के यूपीसीएल उपभोक्ताओं को देश में सबसे सस्ती बिजली दे रहा है।