King George Medical University: लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में जल्द ही कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज की शुरुआत होगी। कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने आदेश जारी कर प्रो. के.के. सिंह को पैरामेडिकल संकाय का डीन नियुक्त किया है। यह कॉलेज 1.8 एकड़ जमीन पर राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज के पास बनाया जाएगा।
KGMU to Open College of Paramedical Sciences: उत्तर भारत के प्रमुख चिकित्सा संस्थान किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में अब मेडिकल शिक्षा का दायरा और बढ़ने जा रहा है। KGMU प्रशासन ने कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल साइंसेज की स्थापना की औपचारिक घोषणा कर दी है। यह कॉलेज न केवल पैरामेडिकल शिक्षा में उत्कृष्टता का नया केंद्र बनेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश और आसपास के राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में प्रशिक्षित तकनीकी जनशक्ति तैयार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने औपचारिक आदेश जारी कर प्रो. के.के. सिंह को पैरामेडिकल संकाय का पहला डीन नियुक्त किया है। वे तत्काल प्रभाव से अपनी जिम्मेदारी संभालेंगे। प्रो. के.के. सिंह पहले से ही KGMU शिक्षक संघ के अध्यक्ष और मीडिया सेल के प्रमुख हैं। उनके पास प्रशासनिक अनुभव और शैक्षणिक नेतृत्व दोनों का लंबा अनुभव है।
प्रो. सिंह का कहना है,“KGMU में पैरामेडिकल साइंसेज कॉलेज की स्थापना ऐतिहासिक कदम है। स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ की बड़ी जरूरत है। हम विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ ऐसा संस्थान बनाएंगे जो पूरे उत्तर भारत में रोल मॉडल साबित होगा।”
कॉलेज का निर्माण लखनऊ के राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज के पास किया जाएगा। इसके लिए लगभग 1.8 एकड़ जमीन आवंटित की गई है। निर्माण कार्य की तैयारियां तेज कर दी गई हैं। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, भवन का डिजाइन आधुनिक जरूरतों के हिसाब से तैयार किया जा रहा है।
हालांकि प्रारंभिक रूपरेखा अभी तैयार हो रही है, लेकिन कॉलेज में डिप्लोमा, बैचलर और मास्टर स्तर के कई पैरामेडिकल कोर्स चलाने की योजना है। इनमें प्रमुख होंगे:
कुलपति प्रो. सोनिया नित्यानंद ने कहा,“हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य सेवाओं में गुणवत्ता सुधारना और प्रशिक्षित मानव संसाधन तैयार करना है। पैरामेडिकल साइंसेज कॉलेज KGMU की एक बड़ी उपलब्धि होगी। प्रो. के.के. सिंह के नेतृत्व में हम इसे जल्द से जल्द शुरू करेंगे।”
लखनऊ के स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम नागरिकों ने इस फैसले का स्वागत किया है। उनका कहना है कि प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ की कमी कई बार मरीजों के इलाज में बाधा बनती है। नए कॉलेज से यह कमी काफी हद तक दूर हो जाएगी।