लखनऊ

Holi Celebration: लखनऊ में होली महोत्सव 2025: परंपरा, उत्साह और सामुदायिक समन्वय का संगम,जानें कहा से निकलेगी बारात

Lucknow Holi Mahotsav: लखनऊ में इस वर्ष होली महोत्सव पारंपरिक उल्लास, सांस्कृतिक धरोहर और सामुदायिक समरसता का अद्भुत संगम होगा। चौक की होरियारों की बारात, अमीनाबाद की झांकी प्रतियोगिता और खाटू श्याम मंदिर में फूलों की होली जैसे विशेष आयोजन इस पर्व को और भव्य बनाएंगे। पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक समन्वय पर भी विशेष ध्यान दिया गया है।

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Mar 13, 2025
Holi Celebration Lucknow

Holi Celebration Lucknow 2025 :होली का पर्व लखनऊ में सदियों से सांस्कृतिक धरोहर और सामाजिक समरसता का प्रतीक रहा है। इस वर्ष, 14 मार्च 2025 को मनाए जाने वाले इस रंगारंग उत्सव के लिए शहर में विशेष तैयारियां की गई हैं, जो परंपरा, नवाचार और सामुदायिक सहयोग का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करती हैं।

चौक से होरियारों की बारात: समय में परिवर्तन से सामुदायिक समन्वय

चौक क्षेत्र में आयोजित होने वाली होरियारों की बारात लखनऊ की होली का प्रमुख आकर्षण है। पारंपरिक रूप से यह बारात सुबह 10 बजे कोनेश्वर मंदिर चौराहे से प्रारंभ होकर मुन्नूलाल धर्मशाला पर समाप्त होती थी। हालांकि, इस वर्ष मुस्लिम समुदाय के जुमे की नमाज को ध्यान में रखते हुए, बारात के समय में परिवर्तन किया गया है। अब यह बारात सुबह 10 बजे से शुरू होकर दोपहर 1 बजे तक समाप्त होगी, ताकि मुस्लिम भाई 2 बजे जुमे की नमाज अदा कर सकें। यह परिवर्तन सामुदायिक समन्वय और धार्मिक सद्भाव का उत्कृष्ट उदाहरण है।

अमीनाबाद में झांकी प्रतियोगिता: सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन

अमीनाबाद होली महोत्सव समिति इस वर्ष झांकी सजावट प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है। प्रकाश कुल्फी के सामने वाली सड़क पर दो झांकियां सजाई जाएंगी, जबकि नजीराबाद और बाटा चौराहों पर भी झांकियों का प्रदर्शन होगा। समिति के अध्यक्ष मनीष चौधरी ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करना और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखना है। आयोजन में समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष बच्चे लाल, महासचिव दर्शन सोनकर, संजय सोनकर, अरविंद सोनकर, सौरभ सोनकर, महामंत्री दीपक सोनकर उर्फ शैलू आदि सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

श्री शुभ संस्कार समिति का 51वां होली जुलूस: पर्यावरण संरक्षण की पहल

श्री शुभ संस्कार समिति द्वारा आयोजित चौपटिया से निकलने वाला होली जुलूस इस वर्ष अपना 51वां वर्ष पूरा कर रहा है। इस अवसर पर समिति ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए पेड़ों के जलाभिषेक का संकल्प लिया है। समिति के अध्यक्ष लक्ष्मीकांत पांडेय ने बताया कि जुलूस 14 मार्च को कक्कड़ पार्क से सुबह 9 बजे शुरू होगा और 12 बजे तक समाप्त होगा। महामंत्री रिद्धि किशोर ने बताया कि इस वर्ष से हर सोमवार को समिति द्वारा 21 पेड़ों का जलाभिषेक किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।

श्री खाटू श्याम मंदिर में फूलों की होली: आध्यात्मिक आनंद का अनुभव

बीरबल साहनी मार्ग स्थित श्री खाटू श्याम मंदिर में इस वर्ष दस कुंतल हर्बल गुलाल और तीन कुंतल फूलों का उपयोग करके रंगोत्सव मनाया जाएगा। 14 मार्च को सुबह 6 बजे से प्रारंभ होने वाले इस उत्सव में वृंदावन धाम की तर्ज पर फूलों की होली खेली जाएगी। महामंत्री रुपेश अग्रवाल ने बताया कि सभी भक्तों को प्रसाद रूप में गुझिया और ठंडाई वितरित की जाएगी, जिससे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आनंद का समागम होगा।

होलिका दहन: शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व

श्री अध्यात्म ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. अखिलेश चन्द्र शास्त्री के अनुसार, इस वर्ष होलिका दहन 13 मार्च को रात्रि 11:26 से 12:30 बजे के बीच किया जाएगा। होलिका दहन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इस दिन भक्तगण भगवान कृष्ण और राधा रानी की आराधना भी करते हैं, जिससे आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

होली 2025 के नए रुझान

  • इस वर्ष होली के दौरान कुछ नए रुझान उभरकर सामने आए हैं:
  • इको-फ्रेंडली होली: पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ने के साथ, लोग हर्बल और प्राकृतिक रंगों का उपयोग कर रहे हैं, जिससे त्वचा और पर्यावरण दोनों सुरक्षित रहें।
  • डिजिटल होली: तकनीक के बढ़ते उपयोग के कारण, वर्चुअल होली पार्टियों का आयोजन किया जा रहा है, जहां लोग ऑनलाइन माध्यम से एक-दूसरे के साथ होली का आनंद ले रहे हैं।
  • वेलनेस होली: स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग योग, ध्यान और आयुर्वेदिक तरीकों को होली उत्सव में शामिल कर रहे हैं, जिससे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिल सके।

लखनऊ में इस वर्ष का होली महोत्सव परंपरा, नवाचार और सामुदायिक समन्वय का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। शहरवासियों की सहभागिता और विभिन्न आयोजनों के माध्यम से यह उत्सव सामाजिक एकता, सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण संरक्षण के संदेश को प्रबलित करता है। आइए, हम सभी मिलकर इस रंगों के पर्व को हर्षोल्लास, सद्भाव और सुरक्षा के साथ मनाएं।

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