बसपा ने 2027 चुनाव का बिगुल फूंक दिया है। मायावती ने सपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “जो लोग सरकारी बसों के इस्तेमाल की झूठी बातें फैला रहे हैं, वे ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ की तरह बर्ताव कर रहे हैं।”
लखनऊ में गुरुवार को बसपा प्रमुख मायावती ने पार्टी की बड़ी बैठक बुलाई। दो घंटे चली इस बैठक में 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा हुई। करीब 500 पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश देते हुए मायावती ने कहा कि अब सत्ता की “मास्टर चाबी” पाने के लिए हर कार्यकर्ता को तन, मन और धन से मैदान में उतरना होगा। भतीजे और बसपा के राष्ट्रीय समन्वयक आकाश आनंद बीमार होने की वजह से बैठक में शामिल नहीं हो सके।
मायावती ने 9 अक्टूबर को लखनऊ में हुई बसपा रैली की “ऐतिहासिक सफलता” के लिए कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि रैली में लोग अपने खर्चे पर बसों, ट्रेनों और निजी साधनों से आए थे। कोई पैदल भी आया। मायावती ने सपा और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “जो लोग सरकारी बसों के इस्तेमाल की झूठी बातें फैला रहे हैं, वे ‘खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे’ की तरह बर्ताव कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कुछ नीतियों की तारीफ बसपा की “राजनीतिक ईमानदारी” का हिस्सा है, न कि किसी सियासी गठजोड़ का संकेत।
लखनऊ में 9 अक्टूबर को बसपा प्रमुख मायावती ने कांशीराम परिनिर्वाण दिवस पर जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन किया था। इस रैली में करीब ढाई से तीन लाख लोग जुटे, जिसने पार्टी में नई ऊर्जा भर दी। अब मायावती 23 साल बाद फिर से सीधे मैदान में उतरने जा रही हैं। वह खुद प्रदेश के मंडलों में जाकर कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें और कैंप करेंगी। आखिरी बार वह 2002 तक इस तरह संगठन संभालने में सक्रिय थीं।
बसपा मुखिया मायावती ने कहा कि बसपा अन्य दलों की तरह पूंजीपतियों और उद्योगपतियों के सहारे नहीं चलती। यह सामाजिक परिवर्तन और आर्थिक मुक्ति के मिशन पर चलने वाला संगठन है, जो दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों, मुस्लिमों और अन्य कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए संघर्षरत है।
उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने जातिवादी द्वेष के कारण महान संतों, गुरुओं और महापुरुषों के नाम पर बने संस्थानों, जिलों और विश्वविद्यालयों के नाम बदलकर बहुजन समाज का अपमान किया है। यही नहीं, इन वर्गों के लिए बनाई गई योजनाओं को निष्क्रिय कर दिया गया, जो राजनीतिक द्वेष और छल का प्रतीक है।
मायावती ने दो टूक कहा कि बसपा कभी साम, दाम, दंड, भेद जैसी राजनीति नहीं करती। हमारी राजनीति एक खुली किताब की तरह साफ-सुथरी है। बसपा की पहचान ईमानदारी, समर्पण और सेवा से है, न कि झूठे प्रचार या साजिश से।
बैठक में यह भी तय किया गया कि 'बहुजन मिशन 2027' के तहत पार्टी गांव-गांव जाकर जनता से संवाद करेगी। वरिष्ठ नेता अपने-अपने क्षेत्रों में जनसभाएं करेंगे और लोगों को बताएंगे कि बीएसपी ही प्रदेश में कानून-व्यवस्था और जनकल्याण की सच्ची गारंटी है। मायावती ने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे विपक्षी दलों के भ्रम फैलाने वाले प्रचार से सावधान रहें और एकजुट होकर बहुजन समाज की आवाज को और बुलंद करें।