Heavy Rain: नागपंचमी के पर्व पर उत्तर प्रदेश में मौसम ने करवट ले ली है। राज्य के कई जिलों में तेज बारिश, आकाशीय बिजली और तेज हवाओं की चेतावनी जारी की गई है। इस बीच ‘गुड़िया कुटाई’ की परंपरा भी धूमधाम से निभाई जाएगी। प्रशासन ने लोगों से सतर्कता बरतने की अपील की है।
Heavy Rain Nag Panchami: श्रावण मास की नागपंचमी पर इस बार आस्था के साथ-साथ बादलों की गरज और बारिश का संगम देखने को मिलेगा। उत्तर प्रदेश के अनेक जिलों में मौसम विभाग ने झमाझम बारिश, तेज हवाओं और मेघ गर्जन की चेतावनी जारी की है। ऐसे में नाग देवता की पूजा को जा रहे श्रद्धालुओं को सतर्क रहना जरूरी है।
मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार मंगलवार को नागपंचमी के दिन उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आकाशीय बिजली गिरने, तेज हवाएं चलने और मध्यम से भारी वर्षा की संभावना है। कहीं-कहीं बारिश के साथ तूफानी हवाएं (30-50 किमी प्रति घंटा) भी चल सकती हैं।
मथुरा, अलीगढ़, गौतम बुद्ध नगर, बुलंदशहर, हापुड़, गाज़ियाबाद, बागपत इन जिलों में तेज हवाओं के साथ मध्यम से भारी वर्षा और बिजली गिरने की आशंका है।
मिर्जापुर, चंदौली, प्रयागराज, वाराणसी, ग़ाज़ीपुर, बलिया, जौनपुर, लखनऊ, अयोध्या, गोरखपुर, बस्ती, कुशीनगर, अमेठी, रायबरेली, कानपुर नगर, हरदोई, सीतापुर, गोंडा, बाराबंकी, बहराइच, शाहजहाँपुर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर समेत कुल 60+ जिलों में।
जालौन, इटावा, मैनपुरी, कानपुर देहात, औरैया, बिजनौर, शामली, सहारनपुर आदि।
जिलों के डीएम और आपदा प्रबंधन विभाग को अलर्ट पर रखा गया है। विशेषकर मंदिरों, नागपंचमी के मेलों, और भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में बिजली गिरने के संभावित खतरों को देखते हुए पुलिस और फायर ब्रिगेड को तैनात किया गया है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने भी नागपंचमी की पूजा में शामिल हो रहे श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे खुले मैदानों और पेड़ों के नीचे खड़े होने से बचें।
गांवों में नागपंचमी पर 'गुड़िया कुटाई' की परंपरा आज भी जीवित है। मिट्टी या गोबर से बनी नाग देवता की गुड़िया को जल में विसर्जित किया जाता है और उससे पहले उसकी प्रतीकात्मक ‘कुटाई’ होती है। इसे सांपों की रक्षा और वर्षा की कामना का प्रतीक माना जाता है। इस बार भी लोगों ने स्नान, पूजा और नाग मंदिरों में दर्शन की तैयारियां की हैं, लेकिन मौसम ने चिंता बढ़ा दी है।
नागपंचमी पर प्रदेश भर में श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना की जाएगी, लेकिन इस बार प्रकृति की चेतावनी के साथ। श्रद्धालुओं और ग्रामीणों को चाहिए कि परंपराओं को निभाते हुए सतर्कता को भी अपनाएं। प्रशासन का सहयोग लें, और मौसम से जुड़े अपडेट पर नज़र बनाए रखें।