लखनऊ

सैम पित्रोदा के बयान पर भड़के सीएम योगी, मायावती ने कांग्रेस आलाकमान पर उठाए सवाल

Sam Pitroda Controversy: CM योगी आदित्यनाथ ने सैम पित्रोदा की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया दी है। सीएम योगी आदित्यनाथ नाथ ने कहा, “देश और आम जनता के प्रति कांग्रेस की मानसिकता उजागर हो गई है। उनका घोषणा पत्र इसी बात का संकेत दे रहा है।”

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Apr 25, 2024
Sam Pitroda Controversy

Sam Pitroda Controversy: इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा की 'विरासत कर' टिप्पणी को लेकर बसपा अध्यक्ष मायावती और सीएम योगी ने प्रतिक्रिया दी है। सीएम योगी ने जहां कांग्रेस और इंडिया गुट पर देश को आतंकवाद के दौर में वापस ले जाने का आरोप लगाया तो मायावती ने एक्स पर पोस्ट कर कांग्रेस आलाकमान पर सवाल उठाए हैं।

'कांग्रेस की नजर अब जनता की संपत्ति पर है'

सीएम योगी ने कहा, “आम जनता के प्रति कांग्रेस की मानसिकता क्या है यह UPA सरकार के दौरान और कल फिर एक बार उजागर हुआ है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी कहीं न कहीं ये सब इशारे थे। ऐसा नहीं है कि जो सैम पित्रोदा ने जो कल कही है बात 2011-12-13 में तत्कालीन जो मंत्री थे पी. चिदंबरम उनके द्वारा भी इन सब चीजों की वकालत की जाती थी। कांग्रेस ने देश के संसाधनों को लगभग 60-65 साल तक लूटा, अब उनकी नजर जनता की संपत्ति पर लगी हुई है।”

'कांग्रेस को उसकी दागदार विरासत से मुक्ति मुश्किल'

मायावती ने सैम पित्रोदा के बयान पर आपत्ति जताते हुए लिखा, “कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा भारत में धन के वितरण की आड़ में, अमेरिका की तरह, निजी सम्पत्ति पर ’विरासत टैक्स’ की सोच और उसकी पैरवी गरीबों की भलाई का कम व राजनीति से प्रेरित इनकी ’गरीबी हटाओ’ की चर्चित विफलता पर से लोगों का ध्यान बांटने का चुनावी प्रयास ज्यादा लगता है। भारत में जहां तक संपत्ति और सरकारी भूमि वितरण आदि से जुड़े मामलों में दलितों और वंचितों के लिए न्याय का सवाल है तो इनकी सरकारों की सही नीयत के अभाव के कारण यहां गरीबी, पिछड़ापन, पलायन की विवशता आदि दूर नहीं हो पाई। कांग्रेस को उसकी ऐसी दागदार विरासत से मुक्ति मुश्किल।”

सैम पित्रोदा के इस बयान पर गरमाई राजनीति

सैम पित्रोदा ने कहा, “अमेरिका में Inheritance Tax (विरासत कर) लगता है। अगर किसी के पास 100 मिलियन डॉलर की संपत्ति है और जब उसकी मृत्यु हो जाती है तो वह केवल 45% अपने बच्चों को हस्तांतरित कर सकता है और 55% सरकार को जाता है, लेकिन भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है।”

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