Sanskrit education in Madrasas:मुस्लिम मदरसों में संस्कृत में पढ़ाई कराई जाएगी। जल्द ही मदरसा बोर्ड और संस्कृत शिक्षा विभाग इसे लेकर एमओयू पर साइन करेंगे। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने राजभवन में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) को बोर्ड की सालाना रिपोर्ट पेश कर इसकी जानकारी दी।
Sanskrit education in Madrasas:मुस्लिम मदरसों में जल्द ही संस्कृत शिक्षा शुरू होने जा रही है। उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष ने राज्यपाल को बोर्ड की सालाना रिपोर्ट पेश कर इसकी जानकारी दी। रिपोर्ट में मदरसा बोर्ड की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और मदरसा छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा में जोड़ने के लिए चल रहे प्रयासों की वृदह जानकारी दी गई है। कासमी ने राज्यपाल के साथ बोर्ड की पहल अंतरधार्मिक शिक्षा पर भी चर्चा की। कहा कि उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड और उत्तराखंड संस्कृत विभाग के साथ एक समझौते पर साइन होने वाले हैं, जिसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस पहल का मकसद राज्य के सभी मदरसों में संस्कृत को एक विषय के रूप में पेश करना है। इससे छात्रों को सबसे पुरानी भाषाओं में से एक को सीखने और भारत की सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का मौका दिया जाएगा।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने उत्तराखंड मदरसा बोर्ड को भंग करने की सिफारिश की है। आयोग ने पत्र में कहा है कि बच्चों के मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार के बीच विरोधाभास पैदा किया जा रहा है। कहा कि केवल धार्मिक संस्थानों में जाने वाले बच्चों को आरटीई अधिनियम के तहत औपचारिक शिक्षा प्रणाली से बाहर रखा गया है, जबकि अनुच्छेद 29 और 30 अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करते हैं।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने पत्र में कहा है कि केवल बोर्ड का गठन या यूडीआईएसई कोड लेने का मतलब यह नहीं कि मदरसे आरटीई अधिनियम का पालन कर रहे हैं। लिहाजा यह सिफारिश की गई कि मदरसों और मदरसा बोर्ड को राज्य की ओर से मिल रहा वित्त पोषण बंद कर मदरसा बोर्ड भंग कर देना चाहिए। सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकाल स्कूलों में भर्ती कराया जाय। मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसों में पढ़ रहे, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त, उन्हें औपचारिक स्कूलों में भेजें।