Suicide GDS: लखनऊ के महानगर पोस्ट ऑफिस में 21 वर्षीय ग्रामीण डाक सेवक अंकित ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हाल ही में हुए निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों की डांट और मानसिक दबाव से परेशान अंकित ने यह कदम उठाया। घटना से विभाग में हड़कंप है और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग तेज हो गई है।
Suicide Harassment Case: लखनऊ के महानगर पोस्ट ऑफिस से गुरुवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। हरियाणा के रहने वाले 21 वर्षीय ग्रामीण डाक सेवक (जीडीएस) अंकित ने पोस्ट ऑफिस परिसर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि हाल ही में हुए निरीक्षण के दौरान वरिष्ठ अधिकारियों की डांट और लगातार मानसिक दबाव से परेशान होकर अंकित ने यह कदम उठाया।
अंकित मूल रूप से हरियाणा का निवासी था और कुछ समय पहले ही उसकी नियुक्ति लखनऊ के महानगर पोस्ट ऑफिस में हुई थी। परिजनों का कहना है कि अंकित बेहद मेहनती और संवेदनशील स्वभाव का युवक था। नौकरी में नए होने के कारण वह पहले ही काम के बोझ और अपेक्षाओं को लेकर तनाव में था।
सूत्रों के अनुसार बीते दिनों मुख्य निरीक्षक (सीआई) दिलीप पांडेय और प्रवर अधीक्षक डाकघर लखनऊ सचिन चौबे ने महानगर पोस्ट ऑफिस का औचक निरीक्षण किया था। इस दौरान कार्य में कुछ कमियों को लेकर अंकित को वरिष्ठ अधिकारियों से डांट खानी पड़ी। सहकर्मियों के मुताबिक, डांट पड़ने के बाद अंकित काफी उदास रहने लगा था और उसने कई बार यह बात जताई थी कि वह मानसिक रूप से दबाव में है।
गुरुवार सुबह पोस्ट ऑफिस खुलने से पहले ही अंकित ने परिसर के एक हिस्से में रस्सी के सहारे फांसी लगा ली। जब सहकर्मी पहुंचे तो उसे लटका देख अफरा-तफरी मच गई। तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची महानगर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
अंकित के परिजनों और सहकर्मियों ने आरोप लगाया कि वरिष्ठ अधिकारियों की फटकार और अनुचित व्यवहार ने अंकित को मानसिक रूप से तोड़ दिया। कर्मचारियों में आक्रोश है और वे जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रारंभिक जांच में यह आत्महत्या का मामला प्रतीत हो रहा है, लेकिन इसके पीछे के कारणों की गहन जांच की जा रही है। पुलिस यह भी पता लगाएगी कि अंकित पर मानसिक दबाव बनाने में किन लोगों की भूमिका रही। जांच पूरी होने के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना सरकारी और डाक विभाग में कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्य दबाव पर गंभीर सवाल उठाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नई नियुक्तियों के दौरान अधिकारियों को संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए और कर्मचारियों को प्रोत्साहित करना चाहिए, न कि डांट-डपट से उनका मनोबल गिराना चाहिए।
अंकित के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों ने कहा कि उनका बेटा मेहनती था, लेकिन अधिकारियों के व्यवहार ने उसे जीने नहीं दिया। उन्होंने मांग की है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।
डाक विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि पूरे प्रकरण की जांच कराई जाएगी। अगर किसी की लापरवाही या दबाव डालने की बात सामने आती है तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी।
इस घटना ने फिर यह साबित किया है कि नौकरी का अत्यधिक तनाव और वरिष्ठों के अनुचित व्यवहार के कारण युवा कर्मचारी मानसिक दबाव में आ जाते हैं। हाल के वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जिनमें काम के बोझ और उत्पीड़न से तंग आकर कर्मचारियों ने आत्महत्या कर ली।