Fraud in Lucknow: लखनऊ में चिनहट निवासी व्यवसायी शशांक सिंह से कृषि विभाग का टेंडर दिलाने के नाम पर 40 लाख रुपये की ठगी हुई। कोर्ट के आदेश पर गोमतीनगर विस्तार थाने में तीन आरोपियों पर एफआईआर दर्ज हुई है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और आरोपियों की तलाश जारी है।
Tender Fraud Lucknow Crime: राजधानी लखनऊ में एक बड़ा धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। चिनहट निवासी व्यवसायी शशांक सिंह से कृषि विभाग का टेंडर दिलाने के नाम पर 40 लाख रुपये की ठगी की गई। पीड़ित की शिकायत पर कोर्ट के आदेश के बाद गोमतीनगर विस्तार थाने में तीन आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है।
पीड़ित शशांक सिंह कृषि यंत्रों के कारोबार से जुड़े हैं। उनका कहना है कि कुछ लोगों ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे कृषि विभाग के बड़े टेंडर दिला सकते हैं। इसी झांसे में आकर शशांक ने चरणबद्ध तरीके से कुल 40 लाख रुपये आरोपियों को दिए। लेकिन समय बीतने के बाद भी न तो कोई टेंडर मिला और न ही पैसे वापस किए गए।
शशांक के अनुसार, आरोपियों ने सरकारी संपर्कों का हवाला देकर विश्वास दिलाया और रकम लेने के बाद टालमटोल शुरू कर दी। जब शशांक ने रकम वापस मांगी तो उन्हें धमकाने तक की कोशिश की गई।
शशांक ने कई बार पुलिस से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई न होने पर उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट के आदेश पर गोमतीनगर विस्तार थाने में तीन व्यक्तियों के खिलाफ ठगी और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने बताया कि आरोपियों की पहचान कर उनकी तलाश शुरू कर दी गई है।
आरोपियों ने खुद को कृषि विभाग से जुड़ा बताकर व्यवसायी को भरोसे में लिया। शशांक सिंह का व्यवसाय कृषि यंत्रों की आपूर्ति से जुड़ा है, इसलिए सरकारी टेंडर मिलने की संभावना ने उन्हें आकर्षित किया। आरोपियों ने दावा किया कि विभाग में उनकी गहरी पैठ है और वे लाखों रुपये का टेंडर दिलवा सकते हैं। इस झांसे में फँसकर शशांक ने पहले कुछ लाख रुपये दिए और बाद में किश्तों में पूरी रकम सौंप दी। लेकिन कई महीने गुजर जाने के बावजूद टेंडर की कोई सूचना नहीं मिली।
पुलिस के अनुसार, दर्ज की गई एफआईआर में आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (आपराधिक विश्वासघात), और 506 (धमकी) के तहत मामला दर्ज हुआ है। साथ ही, पुलिस ने आरोपियों को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए तलब किया है। थाना प्रभारी का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शशांक सिंह का कहना है, “मुझे बताया गया कि कृषि विभाग का करोड़ों रुपये का टेंडर निकल रहा है। मैंने आरोपियों पर भरोसा किया और अपने मेहनत की कमाई से 40 लाख रुपये दे दिए। अब जब टेंडर नहीं मिला तो मैं पैसे की वापसी की मांग कर रहा हूँ, लेकिन आरोपी मुझे धमकाने लगे।”उन्होंने यह भी कहा कि यदि समय पर कोर्ट का हस्तक्षेप न होता, तो शायद एफआईआर भी दर्ज न होती।
हाल के वर्षों में लखनऊ सहित प्रदेश के कई शहरों में सरकारी टेंडर या नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में पीड़ित प्रायः जल्दबाजी में बिना सही जाँच-पड़ताल के पैसे दे देते हैं।
आर्थिक अपराध शाखा के पूर्व अधिकारियों के अनुसार, “सरकारी टेंडर की प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और ऑनलाइन हो चुकी है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति के माध्यम से टेंडर दिलाने का दावा ही संदिग्ध माना जाना चाहिए। यह शुद्ध रूप से ठगी की साजिश होती है।”
गोमतीनगर विस्तार थाना प्रभारी ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर मामला दर्ज कर जांच शुरू हो गई है। आरोपियों के बैंक लेन-देन और कॉल डिटेल खंगाली जा रही है। पुलिस का कहना है कि जल्द ही सबूतों के आधार पर आरोपियों की गिरफ्तारी होगी और पीड़ित की रकम वापस दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।
अधिकारियों ने व्यवसायियों और आम नागरिकों से अपील की है कि वे सरकारी टेंडर, नौकरी या किसी भी सरकारी योजना में लाभ दिलाने के नाम पर पैसे न दें। सभी सरकारी प्रक्रियाएँ अब पोर्टल और ई-टेंडरिंग सिस्टम के माध्यम से होती हैं। किसी भी निजी व्यक्ति या दलाल की भूमिका पूरी तरह संदिग्ध है।
पुलिस का कहना है कि इस तरह के मामलों को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाना जरूरी है। साथ ही आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को भी इस तरह के मामलों पर नज़र रखनी होगी। कोर्ट के आदेश से दर्ज हुआ यह मामला अब लखनऊ पुलिस के लिए एक टेस्ट केस बन सकता है।