UP Senior IAS and IPS Officers Retirement: उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक हलकों में बड़ा बदलाव देखने को मिला। दो वरिष्ठ IAS, चार IPS, चार PPS और तीन PCS अधिकारियों ने सेवा अवकाश लिया। इन अधिकारियों की सेवानिवृत्ति के साथ ही राज्य में नई नियुक्तियों और प्रशासनिक पुनर्संरचना की प्रक्रिया तेज होने की संभावना है।
UP Bureaucracy Retirement: उत्तर प्रदेश की ब्यूरोक्रेसी में कई वरिष्ठ अधिकारियों के लिए भावुक विदाई लेकर आया। राज्य के प्रशासनिक और पुलिस विभाग में उच्च पदों पर तैनात दो आईएएस, चार आईपीएस, चार पीपीएस और तीन पीसीएस अधिकारियों ने अपनी लंबी सेवा यात्रा को विराम देते हुए सेवानिवृत्ति ग्रहण की। अप्रैल के अंतिम दिन लखनऊ में रिटायरमेंट की यह सूची नौकरशाही के एक युग के अंत की तरह मानी जा रही है। प्रशासनिक अनुभव, नेतृत्व और कार्यकुशलता से परिपूर्ण इन अधिकारियों ने दशकों तक प्रदेश की सेवा में अपना योगदान दिया।
सेवानिवृत्त होने वाले दो प्रमुख आईएएस अधिकारियों में पहला नाम है मोनिका एस गर्ग, जो उत्तर प्रदेश की कृषि उत्पादन आयुक्त के पद पर कार्यरत थीं। अपने संवेदनशील और स्पष्ट निर्णयों के लिए जानी जाने वाली मोनिका गर्ग ने राज्य की कृषि योजनाओं को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे महिला सशक्तिकरण और कृषि सुधारों के लिए भी पहचानी जाती हैं। दूसरे आईएएस अधिकारी हैं अरुण सिंघल, जो वर्तमान में केंद्र सरकार में तैनात थे। उन्होंने स्वास्थ्य, शहरी विकास और प्रशासनिक सुधारों के क्षेत्रों में उल्लेखनीय सेवाएं दी हैं। उनकी विदाई से प्रशासनिक हलकों में गहरी कमी महसूस की जाएगी।
पुलिस महकमे से चार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी भी इस दिन सेवानिवृत्त हुए। इनमें सबसे प्रमुख नाम है अजय आनंद, जो एडीजी पीटीसी (पुलिस ट्रेनिंग सेंटर) के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने प्रदेश में पुलिस प्रशिक्षण के ढांचे को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। दूसरे हैं आईजी बरेली डॉ. राकेश कुमार, जिन्होंने संवेदनशील क्षेत्रों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में प्रभावशाली भूमिका निभाई। योगेश सिंह, जो कि आईजी महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन के पद पर कार्यरत थे, ने महिला सुरक्षा के क्षेत्र में विशेष पहलों को बढ़ावा दिया। उनका कार्यकाल 'मिशन शक्ति' जैसी योजनाओं के सशक्त संचालन के लिए जाना जाएगा। चौथे आईपीएस अफसर हैं डीआईजी लॉजिस्टिक राधेश्याम, जिन्होंने पुलिस बल की लॉजिस्टिक और संसाधन प्रबंधन को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाई।
इन अधिकारियों ने जिलों में प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में अहम योगदान दिया। विकास कार्यों की निगरानी से लेकर आपदा प्रबंधन तक, इनकी भूमिका बहुआयामी रही।
इन वरिष्ठ अधिकारियों की विदाई से न केवल रिक्त पदों पर नई नियुक्तियों की संभावना बढ़ गई है, बल्कि प्रशासनिक ढांचे में नई ऊर्जा और सोच के प्रवेश की उम्मीद भी बनी है। यह परिवर्तन राज्य के सुशासन की दिशा में एक नए अध्याय की शुरुआत का संकेत देता है। सरकार की ओर से इन सभी अधिकारियों के लिए विदाई समारोह आयोजित किए गए, जहां उनके वर्षों के योगदान को सम्मान पूर्वक याद किया गया। सहकर्मियों, कनिष्ठ अधिकारियों और समाज के विभिन्न वर्गों ने उन्हें भावभीनी विदाई दी। इन सभी अधिकारियों ने अपने लंबे सेवाकाल में कई संकटों, बदलावों और चुनौतियों का सामना किया। उनके कार्यकाल में लिए गए निर्णय आज भी प्रशासनिक और पुलिस तंत्र में मील का पत्थर माने जाते हैं। वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनकर रहेंगे।