UP By-Election: UP विधानसभा की रिक्त 10 में से 9 सीटों पर हो रहे उपचुनाव में मतदान की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, ठीक वैसे ही पूरा चुनाव रोचक होता जा रहा है। इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी की मजबूत सीट कही जाने वाली मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर भाजपा ने मुलायम सिंह यादव के दामाद और सपा प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के फूफा अनुजेश यादव को जहां मैदान पर उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है।
UP By-Election: उत्तर प्रदेश की मैनपुरी जिले की करहल विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में मुकाबला बेहद दिलचस्प हो गया है। समाजवादी पार्टी (सपा) की परंपरागत सीट मानी जाने वाली इस क्षेत्र में भाजपा ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी तेज प्रताप यादव के फूफा अनुजेश यादव को मैदान में उतारकर मुकाबले को और रोचक बना दिया है। तेज प्रताप यादव, लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं, और अनुजेश यादव मुलायम सिंह यादव के दामाद हैं। इस प्रकार यह मुकाबला यादव परिवार के दो दामादों के बीच हो रहा है, जिससे चुनाव का सियासी माहौल गरम हो गया है।
करहल विधानसभा सीट पर सपा का हमेशा से वर्चस्व रहा है, जहां अखिलेश यादव ने खुद 2022 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज की थी। इस बार उपचुनाव इसलिए हो रहा है क्योंकि अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद करहल से इस्तीफा दे दिया था। करहल यादव बाहुल्य क्षेत्र है, जहां यादव मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से अधिक है। इसके अलावा, शाक्य, ब्राह्मण, और मुस्लिम मतदाताओं का भी प्रभावी योगदान है।
भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव का परिवार भी राजनीति में पुराना रहा है। उनकी मां उर्मिला यादव दो बार विधायक रह चुकी हैं और उनकी पत्नी संध्या यादव मैनपुरी की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। दूसरी ओर, तेज प्रताप यादव पहले से ही समाजवादी पार्टी के एक प्रमुख चेहरे हैं और अपने परिवार के साथ समाजवादी विचारधारा से जुड़े हुए हैं।
भाजपा प्रत्याशी अनुजेश यादव ने अपनी चुनावी रणनीति में "परिवारवाद की राजनीति" के खिलाफ आवाज उठाई है और इसे भाजपा की राष्ट्रप्रेम की राजनीति से जोड़ते हुए अपनी जीत को सुनिश्चित बताया है। वहीं, सपा के तेज प्रताप यादव ने भाजपा के खिलाफ अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए अपने पारिवारिक समर्थन और यादव बाहुल्य क्षेत्र में पार्टी की पुरानी पकड़ पर जोर दिया है।
करहल विधानसभा का जातिगत समीकरण यादवों के अलावा शाक्य और अन्य पिछड़ी जातियों पर निर्भर करता है। अनुसूचित जाति के 50 हजार से अधिक मतदाता भी यहां एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इन जातिगत समीकरणों के बीच, भाजपा और सपा दोनों ही अपनी रणनीतियों को जातिगत समीकरणों के आधार पर बना रही हैं, जिससे मुकाबला और भी रोमांचक होता जा रहा है।
इस तरह करहल उपचुनाव यादव परिवार के दो प्रमुख चेहरों के बीच एक दिलचस्प मुकाबला बन गया है, जहां दोनों पार्टियाँ अपने-अपने दांव पेंच आजमाने में जुटी हुई हैं।