लखनऊ

UP Monsoon Session Erupts:  कांवड़ के साथ विधानसभा पहुंचे सपा विधायक, ‘पाठशाला बनाम मधुशाला’ का नारा; विपक्ष ने सरकार पर साधा निशाना, सदन में हंगामा

Uttar Pradesh Assembly: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के पहले दिन विपक्ष ने सरकार पर शिक्षा और कानून-व्यवस्था के मुद्दों को लेकर जमकर हमला बोला। सपा विधायक अतुल प्रधान ‘पाठशाला बनाम मधुशाला’ संदेश वाली कांवड़ लेकर पहुंचे, जबकि नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने गोरखपुर में अपने साथ हुई घटना पर नाराजगी जताई।

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Aug 11, 2025
यूपी विधानसभा में सपा का हंगामा: ‘पाठशाला बनाम मधुशाला फोटो सोर्स : Patrika

UP Monsoon Session Erupts: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र 2025 के पहले ही दिन सदन का माहौल राजनीतिक बयानबाज़ी और विरोध प्रदर्शन से गरमा गया। मेरठ की सरधना सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अतुल प्रधान ने सोमवार को एक अनोखे अंदाज में सदन में प्रवेश कर सभी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। कांवड़ लेकर पहुंचे विधायक ने एक तरफ ‘हमें चाहिए पाठशाला’ और दूसरी तरफ ‘हमें नहीं चाहिए मधुशाला’ का संदेश लिखा था। यह प्रदर्शन राज्य सरकार की स्कूल मर्जर नीति और सरकारी स्कूलों को बंद करने के फैसले के विरोध में था।

अतुल प्रधान ने विधानसभा परिसर में मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, “सरकारी स्कूलों को बंद करने का नियम आखिर किसने बनाया है? 2019 में ही इस पर कार्रवाई शुरू कर दी गई थी। सरकारी स्कूलों में कौन पढ़ता है? यहां गरीब, मजदूर और छोटे व्यापारियों के बच्चे पढ़ते हैं। सरकार का यह फैसला इन वंचित वर्गों के खिलाफ है।” उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा के अधिकार को कमजोर करने के लिए सुनियोजित तरीके से सरकारी स्कूलों को खत्म किया जा रहा है, जबकि जरूरत है इन्हें बेहतर बनाने की।

नेता प्रतिपक्ष का हमला: “सदन धमकी से नहीं चलेगा”

सत्र के पहले दिन ही नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने गोरखपुर में अपने साथ हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है। “हमारी मांग है कि गोरखपुर की घटना की सरकार जांच कराए। अगर हम दोषी हैं तो हमें बताएं, लेकिन सदन धमकी से नहीं चलता। जो लोग आज सत्ता में हैं, कभी विपक्ष में रह चुके हैं। अगर मुख्यमंत्री के क्षेत्र में नेता प्रतिपक्ष के साथ अभद्र व्यवहार होता है तो यह लोकतांत्रिक परंपराओं का उल्लंघन है।”

पांडेय ने आरोप लगाया कि गोरखपुर दौरे के दौरान उनके रास्ते में बुलडोजर खड़ा कर दिया गया और उस पर चढ़कर लोगों ने उनके खिलाफ नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि शहर में कुछ ऐसे गिरोह सक्रिय हैं जिन्हें राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। “जटाशंकर चौराहा और घंटाघर पर मुझे गाड़ी से खींचने की कोशिश हुई। यह सब प्रशासन और सत्ता पक्ष की जानकारी में हुआ, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई।”

सदन में हंगामा, नारेबाजी जारी

विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सपा समेत अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी सदस्यों ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर स्कूल मर्जर, बेरोजगारी, महंगाई और कानून-व्यवस्था के मुद्दों पर विरोध जताया। विधानसभा अध्यक्ष ने बार-बार सदस्यों से शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन नारेबाजी थमी नहीं। सत्ता पक्ष ने विपक्ष के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि जनहित के मुद्दों पर चर्चा से भागना विपक्ष की आदत बन चुका है। वहीं विपक्ष का कहना था कि सरकार असल मुद्दों पर चर्चा से बच रही है और जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है।

 स्कूल मर्जर पर विवाद

राज्य सरकार द्वारा लागू की जा रही स्कूल मर्जर योजना के तहत कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का विलय नजदीकी स्कूलों में किया जा रहा है। सरकार का तर्क है कि इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग और शिक्षण गुणवत्ता में सुधार होगा। हालांकि, विपक्ष और शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति से ग्रामीण इलाकों में बच्चों की पढ़ाई पर नकारात्मक असर पड़ेगा। कई दूरदराज़ के गांवों में बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे ड्रॉपआउट दर बढ़ सकती है। अतुल प्रधान का ‘पाठशाला बनाम मधुशाला’ नारा इसी नीति के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध है।

गोरखपुर घटना: राजनीतिक तकरार

नेता प्रतिपक्ष द्वारा गोरखपुर में हुई घटनाओं का मुद्दा उठाने से सत्र की राजनीति और गरम हो गई। गोरखपुर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संसदीय क्षेत्र रहा है और वहां विपक्षी नेताओं के साथ होने वाली घटनाओं पर पहले भी विवाद उठते रहे हैं। पांडेय का आरोप है कि यह सब एक राजनीतिक रणनीति के तहत हुआ ताकि उनकी आवाज दबाई जा सके। सत्ता पक्ष का कहना है कि यह आरोप बेबुनियाद हैं और विपक्ष सत्र को बाधित करने के लिए ऐसे बयान दे रहा है।

सत्र की शुरुआत में ही टकराव के संकेत

मानसून सत्र के पहले दिन से ही सत्ता और विपक्ष के बीच टकराव के संकेत साफ हो गए हैं। शिक्षा नीति, कानून-व्यवस्था और विपक्षी नेताओं के साथ व्यवहार जैसे मुद्दों ने माहौल को गरमा दिया है। आने वाले दिनों में ‘विकसित यूपी’ के विजन डॉक्यूमेंट पर 24 घंटे चलने वाली चर्चा के बीच ये राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप और भी तेज हो सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सत्र का पहला दिन विपक्ष के लिए सरकार पर दबाव बनाने का मंच था, जबकि सरकार चाहती थी कि चर्चा विकास योजनाओं पर केंद्रित रहे। लेकिन विपक्षी रणनीति ने माहौल को विरोध प्रदर्शनों की दिशा में मोड़ दिया।

आगे की राह

विधानसभा अध्यक्ष ने सभी सदस्यों से अपील की है कि आने वाले दिनों में सत्र की कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से चले, ताकि महत्वपूर्ण विधायी कार्य और जनता से जुड़े मुद्दों पर सार्थक चर्चा हो सके। सरकार की ओर से संकेत दिए गए हैं कि वह विपक्ष के सवालों का जवाब देने को तैयार है, बशर्ते कार्यवाही बाधित न की जाए। वहीं विपक्ष ने साफ कर दिया है कि जब तक जनता से जुड़े मुद्दों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, विरोध जारी रहेगा।

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