SIR Update: उत्तर प्रदेश में Special Intensive Revision (SIR) के बाद मतदाता सूची में बड़ा बदलाव सामने आया है। निर्वाचन आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 18.70 फीसदी मतदाता कम हो गए हैं। गाजियाबाद, लखनऊ, मेरठ और कानपुर जैसे बड़े जिलों में लाखों नाम सूची से हटाए गए हैं।
UP Voter List Shock: उत्तर प्रदेशमें चल रहे Special Intensive Revision (SIR) अभियान के बाद मतदाता सूची को लेकर चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में मतदाता सूची में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिला है। SIR प्रक्रिया के बाद प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या में 18.70 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक, जहां पहले प्रदेश में मतदाताओं की संख्या कहीं अधिक थी, वहीं अब करीब 2 करोड़ 88 लाख मतदाता सूची से बाहर हो गए हैं।
निर्वाचन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार SIR के तहत प्रदेशभर में 12 करोड़ 55 लाख मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा किए। इस प्रक्रिया का उद्देश्य मृत मतदाताओं, स्थानांतरित हो चुके लोगों, डुप्लीकेट नामों और अपात्र मतदाताओं को सूची से हटाना था। हालांकि, सामने आए आंकड़े कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं, क्योंकि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम सूची से गायब हो गए हैं।
SIR प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रदेश में करीब 2 करोड़ 88 लाख मतदाता कम हो गए हैं। निर्वाचन आयोग का कहना है कि यह कमी स्वाभाविक सुधार प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन विपक्षी दल और सामाजिक संगठन इस गिरावट को लेकर चिंता जता रहे हैं। उनका कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं का नाम कटना लोकतंत्र के लिए गंभीर विषय है।
आंकड़ों के अनुसार कुछ जिलों में मतदाता सूची से नाम हटने की दर बेहद अधिक रही है
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मतदाता सूची से नाम कटने की दर अपेक्षाकृत अधिक रही।
जानकारों के मुताबिक शहरी क्षेत्रों में अधिक स्थानांतरण, किरायेदार आबादी और दस्तावेजी त्रुटियों के कारण यह गिरावट ज्यादा देखने को मिली है।
निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि SIR का उद्देश्य मृत मतदाताओं के नाम हटाना,एक से अधिक स्थानों पर दर्ज नामों को हटाना,स्थायी रूप से स्थानांतरित मतदाताओं को सूची से बाहर करना। मतदाता सूची को शुद्ध और अद्यतन बनाना। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जरूरी थी।
मतदाता सूची में हुए इस बड़े बदलाव का असर आगामी चुनावों पर पड़ना तय माना जा रहा है। राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर इसकी समीक्षा कर रहे हैं। कुछ दलों का कहना है कि इससे शहरी सीटों पर मतदान प्रतिशत और चुनावी समीकरण बदल सकते हैं।
निर्वाचन आयोग के अधिकारियों का कहना है कि SIR पूरी तरह पारदर्शी और नियमों के तहत किया गया है। जिन मतदाताओं के नाम कटे हैं, उन्हें अपील और सुधार का पूरा अवसर दिया जाएगा। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन लोगों का नाम गलती से हट गया है, वे निर्धारित प्रक्रिया के तहत पुनः नाम जुड़वा सकते हैं।