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Kanpur रजिस्ट्री घोटाला उजागर, आयकर सर्वे में 25 अरब की गड़बड़ी, सरकार को 500 करोड़ का नुकसान

Kanpur Registry Scam: कानपुर में आयकर विभाग के सर्वे ने बड़े रजिस्ट्री घोटाले का पर्दाफाश किया है। रजिस्ट्री कार्यालय जोन-1 में हुई जांच में 25 अरब रुपये की गड़बड़ी सामने आई है। शुरुआती आकलन में सरकार को लगभग 500 करोड़ रुपये के टैक्स नुकसान की पुष्टि हुई है। अधिकारियों से 10 दिन में जवाब मांगा गया है।

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आयकर विभाग के सर्वे में 25 अरब रुपये की गड़बड़ी, 2500 करोड़ की विसंगतियों के मिले साक्ष्य (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

आयकर विभाग के सर्वे में 25 अरब रुपये की गड़बड़ी, 2500 करोड़ की विसंगतियों के मिले साक्ष्य (फोटो सोर्स : WhatsApp News Group)

Kanpur Registry Scam Exposed: उत्तर प्रदेश के औद्योगिक शहर कानपुर में सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाने वाले एक बड़े घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। आयकर विभाग (IT) द्वारा रजिस्ट्री कार्यालय के जोन-1 में किए गए सर्वे के दौरान करीब 25 अरब रुपये (2500 करोड़ रुपये) की गंभीर वित्तीय विसंगतियों के साक्ष्य मिले हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि इस पूरे फर्जीवाड़े के चलते सरकार को लगभग 500 करोड़ रुपये के टैक्स का नुकसान हुआ है। आयकर विभाग की इस कार्रवाई से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है। सर्वे के बाद संबंधित अधिकारियों को 10 दिनों के भीतर सभी जरूरी कागजात और स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। यह सर्वे वर्ष 2020 से 2025 के बीच संपत्तियों की रजिस्ट्री से जुड़े मामलों पर केंद्रित रहा।

रजिस्ट्री कार्यालय जोन-1 बना जांच का केंद्र

आयकर विभाग की टीम ने कानपुर के रजिस्ट्री कार्यालय के जोन-1 में अचानक सर्वे किया। इस दौरान दस्तावेजों, कंप्यूटर रिकॉर्ड, रजिस्ट्री फाइलों और डिजिटल डेटा की बारीकी से जांच की गई। सर्वे में यह संकेत मिले कि बीते पांच वर्षों में संपत्ति की खरीद-फरोख्त के दौरान जानबूझकर कम मूल्यांकन (Undervaluation) कर स्टांप ड्यूटी और आयकर की भारी चोरी की गई। सूत्रों के अनुसार, बड़े पैमाने पर बाजार मूल्य से बहुत कम दर पर रजिस्ट्रियां ,कागजों में फर्जी मूल्यांकन। एक ही संपत्ति की अलग-अलग कीमतों पर रजिस्ट्री,संदिग्ध लेन-देन और बेनामी संपत्तियां, जैसी अनियमितताएं सामने आई हैं।

25 अरब रुपये की गड़बड़ी, 500 करोड़ का टैक्स नुकसान

आयकर विभाग के आकलन के मुताबिक, सर्वे में करीब 2500 करोड़ रुपये की वित्तीय विसंगतियों के प्रमाण मिले हैं। इनमें से लगभग 500 करोड़ रुपये का सीधा टैक्स नुकसान सरकार को हुआ है। यह नुकसान आयकर, कैपिटल गेन टैक्स और स्टांप ड्यूटी से जुड़ा हुआ है। जानकारों का कहना है कि यदि संपत्तियों का सही बाजार मूल्य दिखाया जाता, तो सरकारी खजाने में सैकड़ों करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व आ सकता था।

2020 से 2025 तक की रजिस्ट्री की गहन जांच

आयकर विभाग ने अपनी जांच का दायरा वर्ष 2020 से 2025 तक की संपत्ति रजिस्ट्रियों पर केंद्रित रखा है। इस दौरान हजारों रजिस्ट्रियों की स्कैनिंग,डिजिटल रिकॉर्ड का मिलान,बैंक लेन-देन की जांच,संपत्ति खरीदारों और विक्रेताओं की आय का विश्लेषण किया गया। जांच में यह भी सामने आया कि कई मामलों में खरीदार की घोषित आय और संपत्ति की कीमत के बीच भारी अंतर है, जो ब्लैक मनी के उपयोग की ओर इशारा करता है।

बड़े बिल्डरों और प्रॉपर्टी डीलरों पर शक

सूत्रों के अनुसार, इस घोटाले में बड़े बिल्डर, रियल एस्टेट कारोबारी, प्रॉपर्टी डीलर और कुछ रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़े कर्मचारी की भूमिका की भी जांच की जा रही है। आयकर विभाग को शक है कि एक संगठित नेटवर्क के जरिए वर्षों से टैक्स चोरी की जा रही थी। कुछ मामलों में एक ही व्यक्ति या समूह द्वारा बार-बार संपत्तियों की खरीद-फरोख्त कर कागजी मुनाफा कम दिखाया गया, जिससे टैक्स देनदारी से बचा जा सके।

डिजिटल रिकॉर्ड ने खोली पोल

जांच के दौरान डिजिटल सिस्टम ने इस पूरे फर्जीवाड़े की परतें खोल दीं। रजिस्ट्री कार्यालय के कंप्यूटर सिस्टम, सॉफ्टवेयर लॉग और ऑनलाइन डेटाबेस के मिलान में कई विसंगतियां सामने आईं।

  • रजिस्ट्री की तारीख और भुगतान की तारीख में अंतर
  • बाजार दर से बहुत कम मूल्य
  • नकद लेन-देन के संकेत
  • फर्जी दस्तावेजों का उपयोग
  • इन सबने आयकर अधिकारियों को बड़े घोटाले की ओर इशारा किया।

10 दिनों में मांगे गए सभी दस्तावेज

आयकर विभाग ने सर्वे के बाद रजिस्ट्री कार्यालय और संबंधित अधिकारियों को 10 दिन के भीतर सभी जरूरी दस्तावेज, रजिस्टर, फाइलें और डिजिटल रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। यदि निर्धारित समय में संतोषजनक जवाब नहीं मिला, तो भारी जुर्माना,पेनाल्टी,आयकर वसूली और आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।

प्रशासन में मचा हड़कंप

इस कार्रवाई के बाद कानपुर के प्रशासनिक और राजस्व विभागों में हड़कंप मच गया है। रजिस्ट्री कार्यालय से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी अब अपनी भूमिका को लेकर सफाई देने में जुट गए हैं। वहीं, राज्य सरकार भी पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। सूत्रों का कहना है कि यदि जांच में अधिकारियों की संलिप्तता साबित होती है, तो निलंबन और विभागीय कार्रवाई तय मानी जा रही है।