Premanand Maharaj: अगर आप संत प्रेमानन्द महाराज की रात्रि में निकलने वाली पदयात्रा में सम्मिलित होकर दर्शन करने की इच्छा लिये आना चाह रहे हैं तो होली के त्यौहार तक न आएं। महाराज के स्वास्थ्य और होली उत्सव के दृष्टिगत 10 से 14 मार्च तक यात्रा बंद की गई है। शेष दिनचर्या पूर्व की तरह रहेगी।
Premanand Maharaj: संत प्रेमानन्द महाराज छटीकरा मार्ग पर श्री कृष्ण शरणम् स्थित निवास स्थान से रात दो बजे पैदल चलते हुए परिक्रमा स्थित श्रीहित राधा केली कुंज आश्रम पहुंचते हैं। उनके दर्शन पाने के लिये यात्रा मार्ग के दोनों ओर हजारों की संख्या में भक्त एकत्रित होते हैं, लेकिन होली के चलते उमड़ने वाली भीड़ और स्वास्थ्य कारणों की वजह से यात्रा को पांच दिन के लिये बंद रखने का निर्णय लिया गया है।
इस बाबत आश्रम की ओर से सूचना जारी की गई, जिसमें कहा गया है कि होली के पावन पर्व के चलते व महाराज के स्वास्थ्य की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए रात्रि दो बजे से निकलने वाली पदयात्रा 10 मार्च से 14 मार्च तक नहीं निकाली जाएगी। भक्तों से आह्वान किया गया है कि वह इन दिनों में दर्शन के लिए न आयें। बताया गया कि प्रवचन और एकांतिक वार्ता का कार्यक्रम पूर्व की भांति जारी रहेगा।
इससे पहले 4 फरवरी को NRI ग्रीन सोसाइटी के लोगों विरोध के बाद संत प्रेमानंद महाराज ने 6 फरवरी से अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा स्थगित कर दी थी। प्रेमानंद महाराज श्री कृष्ण शरणम् सोसाइटी से रात 2 बजे की जगह सुबह 4 बजे कार से केली कुंज आश्रम जाने लगे थे। बाद में विरोध करने वालों ने पदयात्रा शुरू करने की अपील की थी, जिसके बाद संत प्रेमानंद महाराज ने अपनी रात्रिकालीन पदयात्रा शुरू की।
प्रेमानंद महाराज का जन्म कानपुर के अखरी गांव में हुआ।उनके माता-पिता अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति के थे। इससे उनके बालमन में भक्ति के बीज बचपन से ही अंकुरित हो गए। प्रेमानंद महाराज का असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडेय था, लेकिन नियति ने उनके लिए कुछ और ही तय कर रखा था। 13 वर्ष की आयु में ही उन्होंने सांसारिक मोह-माया को त्यागकर संन्यास का मार्ग अपना लिया।