मुख्तार अंसारी गैंग के शार्प शूटर पंकज यादव को गांव की मिट्टी भी नसीब नहीं हुई। एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मृत मऊ जिले के रानीपुर थानाक्षेत्र के ताहिरपुर निवासी पंकज यादव के पिता को पुलिस ने शिनाख्त के लिए मथुरा बुलाया था। पंकज के पिता के शिनाख्त के बाद पुलिस ने पंकज की लाश को उसके पिता को सौंप दी।
बीते 7 अगस्त को मथुरा में एसटीएफ के एनकाउंटर में मारे गए मुख्तार अंसारी गैंग के शार्प शूटर पंकज यादव को गांव की मिट्टी भी नसीब नहीं हुई। एसटीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में मृत मऊ जिले के रानीपुर थानाक्षेत्र के ताहिरपुर निवासी पंकज यादव के पिता को पुलिस ने शिनाख्त के लिए मथुरा बुलाया था। पंकज के पिता के शिनाख्त के बाद पुलिस ने पंकज की लाश को उसके पिता को सौंप दी। पंकज के पिता ने मथुरा में ही पुलिस वालों के सहयोग से उसका अंतिम संस्कार कर दिया।
पंकज यादव जब तक जिंदा था लोग उसके नाम से डरते थे। पुलिस ने उस पर 1 लाख का इनाम घोषित किया था। परंतु क्षेत्र में दहशत का पर्याय बने मुख्तार के शार्प शूटर पंकज को अपने गांव की मिट्टी भी नसीब नहीं हुई।
आपको बता दें कि पंकज यादव एक शातिर अपराधी और शूटर था जो पैसे पर लोगों की हत्याएं करता था। मऊ जिले में उसके नाम पर 22 मुकदमे दर्ज हैं।
पंकज के गांव वालों की मानें तो पंकज ने गांव के ही स्कूल से मात्र आठवीं तक पढ़ाई की थी। इसके बाद वह अपराध की दुनिया में आ गया। गाजीपुर जेल में बन्द रहने के दौरान वह मुख्तार अंसारी के गैंग के संपर्क में आया और भाड़े पर हत्याएं करने लगा। मन्ना सिंह के गवाह रामसिंह मौर्य और गनर सतीश सिंह की हत्या में पंकज यादव आरोपी था।
एसटीएफ के लिए पंकज को पकड़ना एक चैलेंज था। सूत्रों की माने तो वह मोबाइल का प्रयोग बहुत कम करता था। वारदात के लिए वो रहने वाली जगह से दूर जा कर व्हाट्स एप कॉल ही करता था । इस वजह से वह पुलिस की पकड़ में नहीं आता था।
उसके साथ के लगभग सभी शूटर मारे जा चुके हैं।
अपने दोस्त और शूटर काली पासी की विधवा से पंकज ने दूसरी शादी रचाई थी। इससे उसको दो बच्चे भी हैं।