सन 1975 में गांव की एक लड़की फूलमती जो अपनी मां के साथ मेला देखने गई थी अचानक से गायब हो गई। उस समय वह अपने पिता का नाम तक नहीं जानती थी।
जिंदगी कभी कभी ऐसे दिन दिखाती जो यादगार बन जाते हैं। कहते हैं कि रात के बाद दिन जरूर आता है। कुछ ऐसी ही कहानी है मऊ जिले के अमिला बाजार स्थित गांव चूंटीडार गांव की।
सन 1975 में गांव की एक लड़की फूलमती जो अपनी मां के साथ मेला देखने गई थी अचानक से गायब हो गई। उस समय वह अपने पिता का नाम तक नहीं जानती थी। आज अचानक 49 साल बाद जब अपने गांव लौटी तो स्थितियां काफी भावुक करने वाली थीं।
फूलमती ने बताया कि जब वह 8 साल की थी तो साधुवेश धारी एक व्यक्ति ने मिठाई देने के बहाने उसे बुलाया और फुसला कर उसे अपने साथ मुरादाबाद ले गया। वहां उसने उसे एक व्यक्ति को बेच दिया।
खरीदने वाले व्यक्ति ने बाद में उससे शादी कर ली,जिससे उसे एक बेटा हुआ। कुछ समय बाद उसके पति की मृत्यु हुई तो वह किसी तरह जीवन यापन करते हुए एक विद्यालय में रसोइया का कार्य करने लगी। वहां की प्रधानाध्यापिका से पूजा मैडम से जन उसने अपने बचपन की यादें शेयर कीं।
उसे सिर्फ अपने घर के बाहर एक कुवें, गांव का नाम और अपने मामा रामचंद्र का ही नाम याद था। जब प्रधानाध्यापिका ने चूंटी डार का नाम इंटरनेट पर डाला तो वह आजमगढ़ जिले में लिख कर आया,जो अब मऊ जिले का हिस्सा हो गया है। फिर क्या था दोनों जगह के पुलिस से संपर्क किया गया। खोजते हुए पुलिस जब चूंटी डार गांव पहुंची तो 8 साल की बच्ची के खोने की घटना गांव वालों ने बताई। उसका एक दो साल बड़ा भाई लालधर भी है,जिसने उसे पहचान लिया। भाई बहन का ये मिलन काफी भावुक कर देने वाला था,जिसने भी इसे देखा भावुक हो गया।