UP Politics: मऊ की घोसी विधानसभा सीट पर 5 साल में दूसरी बार उपचुनाव होंगे। आपको बताते हैं कि घोसी उपचुनाव में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और BJP किसे उम्मीदवार बना सकती है?
UP Politics: यूपी के मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर एक बार फिर उपचुनाव होना तय है। 2023 के उपचुनाव में जीत दर्ज करने वाले सपा विधायक सुधाकर सिंह का 67 साल की उम्र में निधन हो गया है। इससे पहले 2022 में सपा के टिकट पर जीते दारा सिंह चौहान के पार्टी छोड़ने और पाला बदलने के कारण यहां उपचुनाव कराया गया था।
अब सुधाकर सिंह के निधन के चलते यह सीट दूसरी बार खाली हुई है। इसी के साथ घोसी विधानसभा एक अनोखा रिकॉर्ड भी दर्ज करने जा रही है। यानी ये सीट 5 साल में 2 बार उपचुनाव होने वाली सीट होगी।
यह उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले राज्य सरकार और विपक्ष, दोनों की बड़ी परीक्षा माना जाएगा। इसके नतीजे यह संकेत देंगे कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में किसकी हवा चल रही है।
इसके साथ ही सबसे जरूरी सवाल यह है कि खाली हुई घोसी सीट से इस बार कौन–कौन दावेदारी पेश करेगा? घोसी विधायक सुधाकर सिंह के अचानक निधन के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव खुद उनके परिवार से मिलने पहुंचे। इस दौरान जिस तरह सुधाकर सिंह का बेटा उनके पैर पकड़कर फूट-फूट कर रोया, उससे राजनीतिक संकेत साफ हैं कि समाजवादी पार्टी इस उपचुनाव में 'सहानुभूति लहर' का लाभ लेने के लिए परिवार से ही किसी सदस्य को टिकट दे सकती है।
सुधाकर सिंह के परिवार में राजनीति में सक्रिय चेहरा उनके छोटे बेटे सुजीत सिंह हैं, जो घोसी क्षेत्र से 2 बार ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि उपचुनाव में समाजवादी पार्टी उन्हीं पर दांव लगा सकती है।
दूसरी ओर, उम्मीदवार चयन को लेकर सबसे ज्यादा चुनौती BJP के सामने दिख रही है। 2023 के उपचुनाव में हार झेल चुके मंत्री दारा सिंह चौहान अब MLC बन चुके हैं, इसलिए BJP शायद ही उन्हें दोबारा मैदान में उतारने का जोखिम उठाए। पिछली हार से पार्टी और सरकार दोनों की छवि को नुकसान पहुंचा था।
सियासी गलियारों में चर्चा है कि BJP इस बार पूर्व विधायक विजय राजभर को टिकट दे सकती है। घोसी सीट पर राजभर समुदाय की बड़ी संख्या को देखते हुए यह चुनावी रणनीति पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है। साथ ही दारा सिंह और पूर्व विधायक फागू चौहान के प्रभाव से चौहान वोटरों को साधने की भी कोशिश की जा सकती है। बता दें कि खाली सीट पर 6 महीने में उपचुनाव कराने का नियम है।