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Batla House Encounter Case: आईएम आतंकी आरिज खान को फांसी की सजा, लगाया इतने लाख का जुर्माना

Batla House Encounter Case में साकेत कोर्ट का बड़ा फैसला आईएम आतंकी आरिज खान को दी फांसी की सजा कोर्ट ने इन कारणों के चलते माना इसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस

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Mar 16, 2021
बाटला हाउस केस के दोषी आरिज को कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

नई दिल्ली। 13 साल पुराने बाटला हाउस एनकाउंटर मामले ( Batla House Encounter Case ) में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल में इंस्पेक्टर रहे मोहन चंद शर्मा की हत्या के जुर्म में दोषी आरिज खान को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधी को मौत के सिवा कोई दूसरी सजा नहीं दी जा सकती है।

इंडियन मुजाहिदिन के आतंकी आरिज में कोर्ट को सुधार की कोई गुंजाइश भी नजर नहीं आई और उसे फांसी की सजा सुनाई। कोर्ट ने अलग-अलग धाराओं में सजा दी है। सभी सजा एक के बाद एक चलेंगी।

लगाया 11 लाख रुपए का जुर्माना
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव ने इस केस को रेयरेस्ट आफ द रेयर केस मानकर आरिज पर 11 लाख रुपए का अर्थदंड भी लगाया है।

इसमें से 10 लाख रुपए दिल्ली पुलिस के शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के परिवार को दिए जाएंगे जबकि एक लाख रुपए राज्य सरकार को दिए जाएंगे।

यह मुआवजा जांच अधिकारी की ओर से आरिज की वित्तीय स्थिति पर पेश रिपोर्ट के आधार पर लगाया गया है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि यह मुआवजा पर्याप्त नहीं है, इसलिए डिस्टि्रक्ट लीगल सर्विस अथारिटी को पीडि़त परिवार के लिए अतिरिक्त मुआवजे का प्रबंध करने की सिफारिश की जा रही है।

अडिशनल सेशन जज संदीप यादव ने सोमवार को 22 पन्नों में आरिज खान की मौत का फरमान लिखा। इस दौरान कोर्ट ने कहा- 'दोषी ने अपने घृणित कृत्यों से जीने के अधिकार को खो दिया है।'

इसलिए माना रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस
कोर्ट ने कहा- 'अन्य चीजों के साथ गंभीरता का स्तर, बर्बरता की हद, अपराध करने के पीछे मुजरिम की सोच भी है जो केस को रेयरेस्ट ऑफ रेयर बनाती हैं।

कोर्ट ने आरिज खान को इस फैसले के खिलाफ अपील करने की छूट भी नियमानुसार उसे दी गई।

अदालत ने सजा के मुद्दे पर दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। इसमें दो सवाल उभरकर आए। पहला, क्या दोषी में सुधार हो सकता है? और दूसरा क्या दोषी समाज के लिए खतरा बनेगा?

इनके जवाब में कोर्ट ने कहा कि- यह साबित हुआ है कि दोषी शूटआउट के बाद मौके से फरार होने में कामयाब हो गया था। कड़ी प्रक्रिया के बावजूद वह 10 सालों तक जांच एजेंसी की पकड़ में नहीं आया। रिकॉर्ड में ऐसा कोई साक्ष्य नहीं, जिससे लगे कि ट्रायल के दौरान दोषी में कभी किसी तरह का कोई पश्चाताप दिखा हो। ऐसे में ये लगता है कि दोषी में सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं।

इसके अलावा दोषी का दिल्ली समेत देश के विभिन्न राज्यों में हुए बम धमाकों में शामिल होना, जिसमें हजारों बेकसूर लोगों की मौत हो गई और कई जख्मी हो गए, दर्शाता है कि वह समाज और राष्ट्र के लिए खतरा बना रहेगा।

Published on:
16 Mar 2021 08:20 am
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