मुरैना

मुरैना में मूंक बधिर महिला को कराया निर्मुक्त, रोजगार देने वाले ने खड़े किए हाथ

प्रभारी अधिकारी अपूर्वा चौधरी आखिर क्यों ले रही हैं विशेष रुचि, अब मुरैना बाल गृह में रह रहे बच्चों को ग्वालियर बाल गृह ट्रांसफर करने की तैयारी, बाल कल्याण समिति की भूमिका पर उठे सवाल

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Nov 27, 2025

मुरैना. महिला एवं बाल विकास विभाग पिछले डेढ़ महीने से मूंक बधिर महिला सुनीता को रोजगार दिलाने के नाम पर कवायद कर रहा है लेकिन अभी तक यह तय नहीं कर सका है, कि उसको रोजगार मिलेगा कहां। पहले ग्वालियर बाल गृह में सफाई कर्मी के रूप में तैनात करने की प्लानिंग थी लेकिन अब वहां के संचालक ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं, अब उस महिला को फिलहाल वन स्टॉप सेंटर पर रखा गया है।


अपर कलेक्टर शिवपुरी के आदेश पर मुरैना के महिला स्वाधार गृह में वर्ष 2000 में सुनीता नाम की मूंक बधिर महिला को भेजा गया था। उक्त मूंक बधिर महिला को विभाग की सिफारिश पर मुरैना अपर कलेक्टर ने 10 अक्टूबर 2025 को गृह से निर्मुक्त करने के आदेश दिए थे। गृह की प्रभारी अधिकारी अपूर्वा चौधरी स्वयं उक्त महिला को लेने 19 नवंबर को महिला स्वाधार गृह पहुंची और महिला को अपने साथ लेकर आई लेकिन जिस ग्वालियर के बाल गृह में रोजगार दिलाने के नाम पर निर्मुक्त करवाया गया था, उसके संचालक ने महिला को लेेने से हाथ खड़े कर दिए। अब उक्त महिला को 19 नवंबर से वन स्टॉप सेंटर पर रखा गया है जबकि यहां सिर्फ वहीं महिला रह सकती हैं जो किसी मामले से जुड़ी हो और थाने से आई हों। सवाल यह है कि उक्त महिला को जहां रोजगार दिलाना हैं, उस संस्था का नाम अभी तक क्यों नहीं खोला गया है और डेढ़ महीने पूर्व महिला बाल विकास ने महिला को निर्मुक्त कराने की नोट शीट चलाई, उससे पहले जिस संस्था में रोजगार दिलाना था, उससे अनुमति क्यों नहीं ली गई। खास बात तो यह है कि सामान्य महिलाएं रोजगार के दर दर भटक रही हैं फिर मूंक बधिर महिला को रोजगार दिलान कैसे संभव है। विभाग की इस पूरी कार्रवाई में मासूम बच्चे व महिला के भविष्य को लेकर चिंता के बादल मडऱा रहे हैं। वहीं महिला का दुरुपयोग न हो, इस बात को लेकर भी चर्चाएं व्याप्त हैं।

बच्चों की परवरिश का पीटा जा रहा ढिडोरा

गूंगी बहरी महिला सुनीता के दो मासूम बच्चे हैं जो करीब 6 से 8 साल की उम्र के होंगे। पांच साल से महिला स्वाधार गृह में रह रही है, उसी समय से बच्चे मुरैना बाल गृह में रह रहे हैं। वह मां को पहचानते तक भी नहीं हैं। ऐसी स्थिति में परवरिश की बात करना बेईमानी होगी। वहीं जो महिला अपनी ठीक से परवरिश नहीं कर पा रही है, वह मासूम बच्चों की परवरिश कैसे करेगी, यह समझ से परेह है।

बाल कल्याण समिति ने की बच्चों को स्थानांतरण की तैयारी

महिला सुनीता के दो मासूम बच्चे मुरैना बाल गृह में रह रहे हैं, उनको ग्वालियर बाल गृह में स्थानांतरित करने की तैयारी की जा रही है। जबकि सुविधाओं की बात करें तो जो सुविधाएं मुरैना में हैं, वही ग्वालियर में हैं फिर ग्वालियर क्यों भेजा जा रहा है। बाल कल्याण समिति की कार्यवाही पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। समिति ने बिना सोचे समझे ग्वालियर भेजने की तैयारी कर ली है।

हमारे गृह में न तो महिला के लिए कोई जगह है और न बच्चों के लिए। मैंने कोई काम देने की बात नहीं की है। यह सब मनगढंत बातें हैं।

सौरव गुप्ता, संचालक, बाल गृह, ग्वालियर

महिला सुनीता को ग्वालियर बाल गृह में रोजगार दिया जा रहा है, इसलिए उसके बच्चों को भी मुरैना बाल गृह से ग्वालियर स्थानांतरित किया जा रहा है।

पूनम डंडोतिया, अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, मुरैना

हमारा प्रयास है कि बच्चे मां के पास रहें इसलिए महिला सुनीता को स्वाधार गृह से निर्मुक्त कराया है, फिलहाल उसको वन स्टॉप सेंटर पर रखा है। उसको रोजगार देने कुछ संस्थाओं में बात चल रही है।

अपूर्वा चौधरी, प्रभारी अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग, मुरैना

महिला बाल विकास और बाल कल्याण समिति से बात करते हैं आखिर इसमें चल क्या रहा है। प्रयास यही रहेगा कि महिला व बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे।

लोकेश कुमार जांगिड़, कलेक्टर, मुरैना

Published on:
27 Nov 2025 11:49 am
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