Arun Gawli Release From Nagpur Jail : सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते कुख्यात गैंगस्टर अरुण गवली को जमानत दी थी। इसके बाद गवली को आज नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया।
शिवसेना के नगरसेवक कमलाकर जामसंडेकर (Kamlakar Jamsandekar Murder) की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली (Don Arun Gawli) उर्फ 'डैडी' को जेल से रिहा कर दिया गया है। गवली पिछले 18 साल से इस मामले में जेल की सलाखों के पीछे था। शीर्ष कोर्ट से राहत मिलने के बाद आज सुबह उन्हें नागपुर सेंट्रल जेल से रिहा कर दिया गया।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने पिछले हफ्ते कुख्यात गैंगस्टर की याचिका पर सुनवाई की थी और कहा था कि अरुण गवली 17 साल और तीन महीने से जेल में है और उसकी अपील लंबित है। इस तथ्य पर भी गौर करते हैं कि वह 73 साल का है, शीर्ष अदालत ने जमानत दे दी। इस मामले की अगली सुनवाई फरवरी 2026 में होगी।
गवली को 2006 में शिवसेना नेता कमलाकर जामसंडेकर की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कमलाकर जामसंडेकर की हत्या 2 मार्च 2007 को घाटकोपर में हुई थी। वह अपने घर में टीवी देख रहे थे, तभी कुछ शूटर उनके घर में घुसे और अंधाधुंध फायरिंग की। इस हमले में जामसंडेकर की मौके पर ही मौत हो गई थी। उस समय अरुण गवली विधायक थे।
मुंबई की एक सत्र अदालत ने अगस्त 2012 में इस हत्याकांड में गवली समेत कुल 11 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जबकि तीन अन्य को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। इस मामले में गवली पर 17 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा था। जिसके बाद गवली ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन राहत नहीं मिली। जिसके बाद उम्रकैद की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
गौरतलब हो कि कमलाकर जामसंडेकर की हत्या के कुछ दिन पहले ही मुंबई महानगरपालिका चुनाव (BMC Election) हुए थे, इस चुनाव में जामसंडेकर ने अरुण गवली के पक्ष के उम्मीदवार अजित राणे को केवल 367 मतों से हराया था।
अरुण गवली को एक अन्य मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट से पहले ही जमानत मिल चुकी थी। इसके बाद शिवसेना नेता की हत्या मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने उनका जमानत आवेदन मंजूर कर दिया, जिससे गवली के जेल से बाहर आने का रास्ता खुल गया। हालांकि 18 साल तक जेल में रहने के दौरान गवली कई बार पैरोल पर नागपुर सेंट्रल जेल से बाहर आया था।
मुंबई के दगड़ी चॉल के रहने वाले अरुण गवली पर कई गंभीर मामले दर्ज है। गवली 2004-2009 के दौरान विधायक भी थे। लंबे समय से जेल में बंद रहने के बावजूद गवली का नाम लगातार सुर्खियों में बना रहा। दिलचस्प बात यह है कि अरुण गवली को जमानत ऐसे समय पर मिली है जब कुछ ही महीनों में मुंबई में बीएमसी चुनाव होने की उम्मीद है। ऐसे में गवली की रिहाई के बाद यह देखना अहम होगा कि इसका असर राजनीतिक तौर पर किस तरह पड़ता है। उनकी बेटी गीता गवली भी राजनीति में सक्रिय हैं।