Bihar Election Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में अजित पवार की एनसीपी का प्रदर्शन खराब रहा है। पार्टी के अधिकतर उम्मीदवार एक हजार वोट का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की मतगणना जारी है। अब तक के रुझानों के मुताबिक, भाजपा नीत एनडीए (NDA) दो तिहाई बहुमत के साथ प्रचंड जीत की ओर बढ़ रहा है। 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में एनडीए 190 सीटों से ज्यादा पर, जबकि महागठबंधन 50 से भी कम सीटों पर आगे चल रहा है।
हालांकि बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने महाराष्ट्र में भी राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया है। जहां एनडीए दो सौ सीटों के करीब है और ऐतिहासिक जीत की ओर बढ़ रही है, वहीं महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को करारा झटका लगा है। बिहार में स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का उनका दांव पूरी तरह फेल हो गया। एनसीपी को बिहार विधानसभा चुनाव में एक फीसदी से भी कम वोट मिलते दिख रहे है।
दरअसल अजित पवार ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दोबारा हासिल करने के इरादे से बिहार में अपने उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन जनता ने उन्हें नकार दिया। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर एनसीपी अजित गुट एनडीए के साथ है। पार्टी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन किसी भी सीट पर बढ़त नहीं मिली। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 15 में से 13 उम्मीदवारों को इतने कम वोट मिले हैं कि उनकी जमानत जब्त होना तय माना जा रहा है।
बिहार में एनसीपी के अधिकांश उम्मीदवार एक हजार वोट तक भी नहीं पहुंच सके। कुछ सीटों पर स्थिति बेहद खराब रही। जहां अजित गुट के प्रत्याशियों को 500 से भी कम वोट मिले है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार विधानसभा में एनसीपी को महज 0.02 फीसदी ही वोट मिले है, जो शाम चार बजे तक 8,897 वोट थे।
बिहार के नौटन विधानसभा क्षेत्र में जय प्रकाश को सिर्फ 186 वोट मिले। मनिहारी विधानसभा में सैफ अली खान के हिस्से 2057 वोट आए। पारसा विधानसभा क्षेत्र में बिपीन सिंह को 435, महुआ में अखिलेश ठाकुर को 643 और राघोपुर विधानसभा में अनिल सिंह को 602 वोट मिले। सासाराम विधानसभा क्षेत्र में आशुतोष सिंह को तो केवल 212 वोट मिले है, यहां नोट पर 369 वोटा (NOTA) पड़े हैं।
चुनाव नियमों के अनुसार, अगर किसी उम्मीदवार को किसी निर्वाचन क्षेत्र में कुल वैध मतों का 1/6 यानी 16.66% वोट नहीं मिलता है, तो उसकी जमानत (डिपॉजिट) जब्त हो जाती है। बिहार में ज्यादातर एनसीपी उम्मीदवार इसी स्थिति में दिख रहे है।
बिहार में भाजपा-जेडीयू की जोड़ी ने कमाल कर दिया है और एनडीए के शानदार प्रदर्शन के बीच महागठबंधन की बुरी हार साफ दिखाई दे रही है। इसके बावजूद अजित पवार की अकेले चुनाव लड़ने की रणनीति पूरी तरह उलटी पड़ गई। महाराष्ट्र में अजित गुट सत्तारूढ़ एनडीए का हिस्सा है।
बता दें कि एनसीपी के विभाजन से पहले शरद पवार के नेतृत्व में एनसीपी की मौजूदगी महाराष्ट्र, गोवा, झारखंड, गुजरात और केरल समेत कई राज्यों में थी। बिहार में तारिक अनवर जैसे नेता भी पार्टी को मजबूती देते थे। लेकिन विभाजन के बाद एनसीपी का राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी गया और अब बिहार का यह प्रयोग भी असफल साबित हुआ। बिहार चुनाव ने एनसीपी के राष्ट्रीय विस्तार के सपने पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया है।