मुंबई

‘सच-सच होता है, सूरज पूरब में ही उगता है…’, महाराष्ट्र चुनाव में धांधली के आरोपों का CEC ज्ञानेश कुमार ने दिया जवाब

Election Commission on Maharashtra Elections: विपक्ष के आरोपों पर तीखी टिप्पणी करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, आप किसी भी बात को 10 बार या 20 बार दोहराते रहिए, वह सच नहीं बन जाती।

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Aug 17, 2025
सीईसी ज्ञानेश कुमार के खिलाफ कांग्रेस ला सकती है महाभियोग प्रस्ताव (Photo- IANS)

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे धांधली के आरोपों पर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार (Chief Election Commissioner Gyanesh Kumar) ने सख्त प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बिना सबूत के बार-बार आरोप लगाने से सच्चाई नहीं बदलती।

सीईसी ज्ञानेश कुमार ने साफ कहा, आरोप लगाया गया कि महाराष्ट्र में मतदाताओं की संख्या बढ़ा दी गई। जब ड्राफ्ट लिस्ट जारी हुई थी तब दावे और आपत्तियां क्यों नहीं दर्ज की गईं? नतीजे आने के बाद कहा गया कि यह गलत है। आज तक महाराष्ट्र के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को एक भी मतदाता का नाम सबूत के साथ नहीं दिया गया है। चुनाव हुए आठ महीने हो गए। महाराष्ट्र चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्यों याचिका दाखिल नहीं की?

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'किसी के कहने पर पश्चिम में नहीं उगा सूरज'

उन्होंने आखिरी घंटे में मतदान प्रतिशत को लेकर उठे सवालों का भी जवाब दिया। कुमार ने कहा, यह कहा गया कि आखिरी एक घंटे में इतनी ज्यादा वोटिंग कैसे हुई? आयोग ने पहले ही स्पष्ट किया था कि यदि 10 घंटे मतदान चलता है, तो औसतन हर घंटे करीब 10% मतदान होता है। महाराष्ट्र में तो आखिरी एक घंटे में 10 फीसदी से कम वोटिंग हुई, यह कोई असामान्य बात नहीं है।

विपक्ष के आरोपों पर तीखी टिप्पणी करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, आप किसी भी बात को 10 बार या 20 बार दोहराते रहिए, वह सच नहीं बन जाती। सच-सच होता है। जैसे सूरज पूरब में ही उगता है, किसी के कहने पर पश्चिम में नहीं उगा है।

'आज इतने दिनों के बाद आरोप क्यों...'

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "एक बार जब एसडीएम द्वारा अंतिम सूची प्रकाशित हो जाती है, तो मसौदा सूची राजनीतिक दलों के साथ भी साझा की जाती है और अंतिम सूची भी राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाती है, यह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भी उपलब्ध होती है। मतदान केंद्रवार सूची दी जाती है। प्रत्येक उम्मीदवार को एक पोलिंग एजेंट नामित करने का अधिकार है और यही सूची पोलिंग एजेंट के पास भी होती है... रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा परिणाम घोषित करने के बाद भी, एक प्रावधान है कि आप 45 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं और चुनाव को चुनौती दे सकते हैं। जब 45 दिन पूरे हो जाते हैं चाहे वह केरल हो, कर्नाटक हो, बिहार हो, और जब किसी भी पार्टी को 45 दिनों में कोई गलती नहीं मिली, तो आज इतने दिनों के बाद, इस तरह के निराधार आरोप लगाने के पीछे उनका मकसद क्या है, यह पूरे देश के लोग समझते हैं।"

'भेदभाव कैसे कर सकता है चुनाव आयोग...'

कुमार ने कहा, "कानून के अनुसार, हर राजनीतिक दल का जन्म चुनाव आयोग में पंजीकरण से होता है, तो चुनाव आयोग उन राजनीतिक दलों के बीच भेदभाव कैसे कर सकता है। चुनाव आयोग के लिए, कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी समकक्ष हैं... पिछले दो दशकों से, लगभग सभी राजनीतिक दल मतदाता सूची में त्रुटियों को सुधारने की मांग कर रहे हैं, इसके लिए चुनाव आयोग ने बिहार से एक विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की शुरुआत की है।

उन्होंने कहा, पिछले 20 सालों में एसआईआर (SIR) नहीं किया गया, इसका मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारत के नागरिक ही विधायक, सांसद का चुनाव कर सकते हैं, किसी अन्य देश के नागरिकों को यह अधिकार नहीं है। अगर ऐसे लोगों ने गणना फॉर्म भरा है, तो SIR प्रक्रिया में उनकी पात्रता साबित करने के लिए कुछ दस्तावेज मांगे गए हैं, जिनकी 30 सितंबर तक पूरी जांच होगी और ऐसे केस में गहन जांच के दौरान ऐसे लोग पाए जाएंगे जो हमारे देश के नागरिक नहीं हैं और निश्चित तौर से उनका वोट नहीं बनेगा।"

हलफनामा दें या माफी मांगे राहुल गांधी- CEC

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, "चुनाव आयोग 75 सालों से पूरी कर्मठता के साथ काम कर रहा है। अगर आप मतदाता सूची और मतदान को मिलाकर चुनाव आयोग पर निराधार आरोप लगाएंगे और कहेंगे कि चोरी हो रही है तो ये गलत है। जनता सब समझती है। अगर किसी व्यक्ति के दो जगह वोट भी हों, तब भी वह एक ही जगह वोट करने जाता है। दो जगह वोट करना कानूनी अपराध है और अगर कोई व्यक्ति ऐसा कहता है, तो सबूत चाहिए। सबूत मांगा था, लेकिन नहीं मिला।"

चुनाव आयोग को लेकर राहुल गांधी के आरोपों पर कुमार ने कहा, या तो वें हलफनामा दें या देश से माफी मांगे। इसके अलावा कोई तीसरा विकल्प नहीं है। अगर 7 दिनों के अंदर हलफनामा नहीं मिलता है तो इसका मतलब है कि उनके आरोप बेबुनियाद हैं।

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Updated on:
17 Aug 2025 07:30 pm
Published on:
17 Aug 2025 07:18 pm
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