Maharashtra Municipal Election: महाराष्ट्र की 29 महानगरपालिकाओं के चुनावों के लिए चुनावी बिगुल बज चुका है, लेकिन मतदान से पहले ही भाजपा (BJP) ने दो जगहों पर बड़ी जीत दर्ज की है।
महाराष्ट्र की 29 महानगरपालिकाओं के चुनाव में अब सिर्फ 15 दिन बाकी हैं। 15 जनवरी को मतदान होगा और 16 जनवरी को मतगणना के साथ नतीजे सामने आएंगे। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख खत्म होते ही सियासी सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है। इसी बीच, कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका (KDMC) के रण में मतदान से 15 दिन पहले ही भाजपा का 'विजय रथ' निकल पड़ा है, जहां पार्टी के दो उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की है।
कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका चुनाव (KDMC) से पहले ही भाजपा ने अपना जीत का खाता खोल लिया है। भाजपा की उम्मीदवार रेखा चौधरी और आसावरी नवरे निर्विरोध चुनी गई हैं। रेखा चौधरी लगातार दूसरी बार पार्षद बनी हैं, जबकि आसावरी नवरे पहली बार पार्षद बनी हैं। अधिकारियों के अनुसार, नामांकन पत्रों की बुधवार को होने वाली जांच के बाद ही इसकी आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
कल्याण-डोंबिवली महानगरपालिका की 122 सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा ने दो सीटों पर मतदान से पहले ही जीत दर्ज कर ली है। वार्ड 18-ए से रेखा राजन चौधरी ने नामांकन दाखिल किया था, लेकिन अंतिम समय तक किसी भी विरोधी उम्मीदवार ने उनके खिलाफ पर्चा नहीं भरा। नतीजतन, उनका निर्विरोध चुना जाना तय हो गया। इसी तरह, पहली बार चुनावी मैदान में उतरीं आसावरी नवरे को भी बिना मुकाबले जीत मिली है।
हालांकि, इस शुरुआती बढ़त के बीच महायुति (भाजपा और शिवसेना) के भीतर तनाव भी खुलकर सामने आया है। सीट बंटवारे के तहत उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना को 66 और भाजपा को 56 सीटें मिली हैं। इसके बावजूद, टिकट वितरण को लेकर आखिरी घंटे तक खींचतान देखने को मिला। कई जगहों पर शिवसेना और भाजपा के उम्मीदवार आमने-सामने खड़े नजर आ रहे हैं। इस बगावत ने महायुति गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
नामांकन के आखिरी दिन कई वार्डों में दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों ने एक-दूसरे के खिलाफ पर्चा भर दिया है। बताया जा रहा है कि अंतिम समय में जिन्हें टिकट दिए गए उनसे यह शपथपत्र लिया गया कि कहने पर वे नामांकन वापस लेने को तैयार रहेंगे। इसे सहयोगी दलों के बीच दबाव की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं, उम्मीदवारों ने टिकट मिलते ही आज से प्रचार शुरू कर दिया है और वे पीछे हटने के मूड में नहीं दिख रहे।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि नाम वापसी के दिन कई मोर्चों पर तस्वीर साफ होगी। अगर बागी या निर्दलीय उम्मीदवार पीछे नहीं हटते, तो महायुति के सहयोगी दल दूसरे वार्डों में जवाबी रणनीति अपना सकते हैं। हालांकि दोनों ही दलों ने संभावित बगावत से निपटने के लिए प्लान-बी भी बनाया है।