Palghar Sadhus Mob Lynching: भाजपा की महाराष्ट्र इकाई ने पालघर के विवादित नेता काशीनाथ चौधरी को 24 घंटे में ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की सरगर्मी के बीच भाजपा उस समय मुश्किल में पड़ गई जब काशीनाथ चौधरी (Kashinath Chaudhary Join BJP) पार्टी की पालघर जिला इकाई में शामिल हुए। चौधरी पर वर्ष 2020 के चर्चित पालघर साधु मॉब लिंचिंग में शामिल होने का आरोप लग चुका है। उनके भाजपा में प्रवेश को लेकर विपक्षी दलों की तीखी प्रतिक्रिया के बाद प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने बड़ा फैसला लिया। उन्होंने काशीनाथ चौधरी की एंट्री पर रोक लगाते हुए फैसला निलंबित कर दिया। खुद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस पूरे मामले पर सफाई देनी पड़ी।
काशीनाथ चौधरी को हाल ही में पालघर में आयोजित एक कार्यक्रम में भाजपा की सदस्यता दिलाई गई। जैसे ही चौधरी की भाजपा में शामिल होने की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आईं, विवाद खड़ा हो गया और पार्टी की आलोचना होने लगी। इससे आगामी निकाय चुनावों में संभावित सियासी नुकसान से बचने के लिए भाजपा ने तुरंत दूरी बना ली और चौधरी की सदस्यता रद्द कर दी।
मामला गंभीर होता देख भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने दोपहर तक चौधरी के शामिल होने के निर्णय पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए। जिसके बाद पार्टी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि जांच रिकॉर्ड के अनुसार चौधरी पालघर मामले से संबंधित किसी एफआईआर या आरोपपत्र में नामजद नहीं हैं। इसके बावजूद मामले की संवेदनशीलता और गंभीरता को देखते हुए उनके पार्टी में शामिल होने के फैसले को अस्थायी तौर पर रोक दिया गया है।
इस मुद्दे पर विपक्षी दलों ने भाजपा को घेरा है। कांग्रेस और एनसीपी शरद गुट के नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा कि भाजपा ने ही पहले काशीनाथ चौधरी को पालघर साधु हत्याकांड का मुख्य आरोपी बताया था, लेकिन अब उन्हें धूमधाम से पार्टी में शामिल कर रही है।
शरद पवार की एनसीपी के विधायक रोहित पवार ने भाजपा पर हमला बोलते हुए कहा, “भाजपा ने पालघर साधु हत्या मामले में जिन पर आरोप लगाए थे, उसी व्यक्ति को पार्टी में शामिल कर लिया। आज मुख्यमंत्री उस प्रवेश को सही ठहराने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन जैसे ही चारों तरफ से आलोचना शुरू हुई, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने तुरंत उस प्रवेश को स्थगित कर दिया।“
शरद पवार के पोते रोहित ने आगे तंज कसते हुए कहा, “नई भाजपा 'ना नीति, ना मत, प्रिय सिर्फ सत्ता' के सिद्धांत पर चल रही, लेकिन उन्हें देर से ही सही अब बात समझ में आ गई। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने न सिर्फ मुख्यमंत्री की क्लीन चिट देने की परंपरा तोड़ी, बल्कि यह भी जाहिर कर दिया कि मुख्यमंत्री के गृह विभाग से ज्यादा मजबूत जांच क्षमता उनके पास है। आशा है कि आने वाले समय में मुख्यमंत्री महोदय प्रदेश अध्यक्ष की जांच प्रणाली की मदद जरूर लेंगे।“
गौरतलब है कि पालघर जिले के कासा थाना क्षेत्र के गडचिंचले गांव (Gadchinchile Village) के पास 16 अप्रैल 2020 को बच्चा चोर होने के संदेह में ग्रामीणों की भीड़ ने गाड़ी से जा रहे लोगों पर हमला कर दिया था। तब गुजरात जा रहे दो साधुओं और उनके ड्राइवर की लाठी-डंडों व पत्थरों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी।
दोनों साधु कोविड लॉकडाउन के बीच मुंबई के कांदिवली (Kandivali) से गुजरात के सूरत (Surat) में अपने गुरु के अंतिम संस्कार में शामिल होने जा रहे थे। इस घटना के कई वीडियो वायरल हुए। जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में हिंसक भीड़ ने चिकने महाराज कल्पवृक्षगिरी (70), सुशील गिरी महाराज (35) और निलेश तेलगाड़े (30) को मौत के घाट उतारा था। निलेश उस वाहन को चला रहा था जिससे दोनों साधु सूरत जा रहे थे। इस मुद्दे को तब भाजपा ने जोर-शोर से उठाया था।
साधुओं की हत्या को लेकर भाजपा ने उद्धव ठाकरे नीत तत्कालीन महाविकास आघाडी (एमवीए) सरकार पर जमकर निशाना साधा था। उस समय काशीनाथ चौधरी अविभाजित एनसीपी के सदस्य थे और एनसीपी तब सत्तारूढ़ एमवीए का हिस्सा थी।