शरद पवार ने कहा कि जब राधाकृष्णन झारखंड के राज्यपाल थे, उस समय एक आदिवासी मुख्यमंत्री को राजभवन के अंदर से गिरफ्तार किया गया था।
एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार ने उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर सत्तारूढ़ एनडीए के उम्मीदवार और महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन पर गंभीर सवाल उठाए हैं। शुक्रवार को पवार ने कहा कि जब राधाकृष्णन झारखंड के राज्यपाल थे, उस समय एक आदिवासी मुख्यमंत्री को राजभवन के भीतर ही गिरफ्तार किया गया था। यह घटना दिखाती है कि वह संवैधानिक संस्थाओं और उनकी गरिमा को लेकर किस तरह का विचार रखते हैं।
वरिष्ठ नेता पवार ने यह टिप्पणी विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी से अपने आवास पर मुलाकात के बाद की। उन्होंने कहा, "मैं राज्यपाल के पद का सम्मान करता हूं, लेकिन यह नहीं भूल सकता कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी राजभवन के अंदर हुई थी। और अब ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। वह भारत के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद की गरिमा को कैसे बरकरार रखेंगे?"
पवार ने विपक्षी उम्मीदवार रेड्डी की सराहना करते हुए कहा, "वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश हैं और अपने कार्यकाल में उन्होंने हमेशा आम आदमी के अधिकारों की रक्षा करने वाले फैसले दिए। उनका उम्मीदवार बनना हमारे लिए गर्व की बात है। जीत-हार से ज्यादा महत्वपूर्ण है उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को बनाए रखना।"
उन्होंने यह भी बताया कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें फोन कर एनडीए उम्मीदवार के समर्थन की अपील की थी। पवार ने कहा, "मुख्यमंत्री का कहना है कि चूंकि उम्मीदवार महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, इसलिए हम सभी को उनका समर्थन करना चाहिए। लेकिन यह हमारे लिए कोई मुद्दा नहीं है।"
इधर, शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी उपराष्ट्रपति चुनाव को देश के लिए अहम बताते हुए कहा कि उनकी पार्टी विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को सर्वसम्मति से वोट देगी। हमें उपराष्ट्रपति पद की गरिमा बनाए रखने के लिए मतदान करना होगा। हमें उस पद के लिए एक उपयुक्त व्यक्ति की आवश्यकता है। उन्होंने सवाल उठाया कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा क्यों दिया, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो सका है।
पूर्व में झारखंड के राज्यपाल रहे राधाकृष्णन फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव की बात करें तो संख्याबल भाजपा नीत एनडीए के पक्ष में है, लेकिन विपक्ष इसे विचारधाराओं की लड़ाई बताते हुए पूरी ताकत से मुकाबले में उतरा है।